दरगाह कार्यालय में तैनात एक सुपरवाइजर ने गिनती के दौरान कुछ नकदी चुपचाप अपनी जेब में डालने का किया प्रयास,मामले की जानकारी नायाब तहसीलदार ने दरगाह प्रबंधक को दी,,,

दरगाह कार्यालय में तैनात एक सुपरवाइजर ने गिनती के दौरान कुछ नकदी चुपचाप अपनी जेब में डालने का किया प्रयास,मामले की जानकारी नायाब तहसीलदार ने दरगाह प्रबंधक को दी,,,

दरगाह कार्यालय में तैनात एक सुपरवाइजर ने गिनती के दौरान कुछ नकदी चुपचाप अपनी जेब में डालने का किया प्रयास,मामले की जानकारी नायाब तहसीलदार ने दरगाह प्रबंधक को दी,,,

प्रबंधक के द्वारा उक्त सफाई सुपरवाइजर को उच्च अधिकारियों के निर्देश पर 3 दिन का शॉकल नोटिश थमाया गया,,,
कलियर:
धार्मिक स्थलों की पवित्रता पर सवाल तब उठने लगते हैं जब जिम्मेदार ही अमानत में खयानत करने लगें। ऐसा ही एक मामला सूफी संत हज़रत साबिर पाक की ऐतिहासिक दरगाह में सामने आया है, जहां दानपात्रों की गिनती के दौरान दरगाह में तैनात एक सुपरवाइजर ने चोरी का प्रयास किया। गनीमत रही कि मौके पर मौजूद अधिकारी की सतर्कता से उसकी हरकत को जान लिया ओर फटकार लगाई ।जिससे एक बड़ी अनहोनी टल गई।अजीब बात यह रही कि दानपत्रों की गिनती के वक्त अलग से वीडियो ग्राफी कराई जाती है लेकिन वीडियो ग्राफी करने वाले कि भी इस कार्य मे संलिप्तता जाहिर कर रही है कि इस घटना को अपने कैमरे में कैद करने से कैसे चूक की यह भी जांच का विषय है।
जानकारी के अनुसार, हाल ही में दरगाह के दान पात्रों के भर जाने के बाद उनकी गिनती का कार्य तहसील रुड़की के अधिकारियों की निगरानी में किया जा रहा था। नायब तहसीलदार के नेतृत्व में यह प्रक्रिया चल रही थी। इसी दौरान, दरगाह कार्यालय में तैनात एक सुपरवाइजर ने गिनती के दौरान कुछ नकदी चुपचाप अपनी जेब में डालने का प्रयास किया।
हालांकि उसकी यह करतूत ज्यादा देर छुप नहीं सकी। मौके पर मौजूद एक जिम्मेदार अधिकारी ने तत्काल उसे रोकते हुए जमकर फटकार लगाई और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दरगाह प्रबंधक को दी। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, सुपरवाइजर पैसे लेकर वहां से निकल भी गया था, जिसे बाद में बुलाकर पूछताछ की गई और सख्त हिदायत दी गई।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए दरगाह प्रबंधक द्वारा संबंधित सुपरवाइजर को नोटिस जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि उक्त सुपरवाइजर दरगाह परिसर में साफ-सफाई व्यवस्था का भी जिम्मा रखता है। ऐसे में उसका इस तरह का कृत्य न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि धार्मिक आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाने वाला है।
बड़ा सवाल यह उठता है कि जब धार्मिक स्थलों की व्यवस्था से जुड़े कर्मचारी ही दान में दी गई श्रद्धालुओं की राशि पर बुरी नजर रखने लगें, तो फिर पवित्रता और पारदर्शिता की उम्मीद किनसे की जाए।अब देखने वाली बात यह है कि नोटिश का जवाब मिलने पर ऐसे पेशेवर चोरों के खिलाफ कोई कार्यवाही उच्च अधिकारी अमल में लाते है या पूर्व की भांति इन दरगाह के दान के पैसे पर पलने वाले कथित सेवको को बचाया जायेगा।

उत्तराखंड