काला चश्मा और शेरवानी का कमाल, मक्खन पॉलिश में है बेमिसाल…?

काला चश्मा और शेरवानी का कमाल, मक्खन पॉलिश में है बेमिसाल…?

काला चश्मा और शेरवानी का कमाल, मक्खन पॉलिश में है बेमिसाल…?

कलियर:

अनवर राणा

“जैसा देश वैसा भेष… वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी, इसी कहावत को एक कथित अंतरराष्ट्रीय का लक़ब रखने वाले महाशय खूब चरितार्थ कर रहे हैं, कलमकार से लेकर, शब्दो की माला पिरोने तक पर महाशय महारथ रखते हैं लेकिन इन सबके बीच एक खास आदत में भी साहब..! का कोई तोड़ नही हैं। जबान से सामने वाले को पानी कर देना, और मक्खन पॉलिस से अपनी ओर आकर्षित कर लेना बायं हाथ का खेल हैं तभी तो प्रदेश के अलावा देशभर के प्रतिष्ठित लोगों के साथ महाशय की सेल्फी सोशल मीडिया पर तैरती दिखाई पड़ती हैं। खुद को अता बताने वाले महाशय की चर्चा खूब आम हैं।
इन दिनों आस्था की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 755 वा सालाना उर्स मनाया जा रहा है। उर्स में दूर दराज से अकीदतमंद लोग शिरकत कर रहे है। उर्स में उधोगपतियों से लेकर राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग भी शामिल होते है। ये एक ऐसा समय होता है जब एक आम आदमी भी अपनी कला से साहिबे निशात लोगों में अपनी पहचान आसानी से बना सकता है। अगर थोड़ी मिठास जुबान में हो तो क्या ही कहने। अब बात करे उर्स में एक महाशय की तो जनाब के हमेशा से खूब चर्चे रहे है। काला चश्मा और शेरवानी से लेकर बंद गले का कोट लोगो की भीड़ में भी खुद को अलग दिखाई पड़ता है। बड़े रसूखदार लोगो से ताल्लुक तो महाशय का चुटकियों का खेल है। अधिकारियों से लेकर जिम्मेदारों तक में साहब मक्खन पॉलिश से खूब चलती है। मंच किसी का भी हो और कैसा भी अगर महाशय नही पहुँचे तो मंच सुना, अगर पहुँच गए तो किसी और का नम्बर आना मुश्किल। यहां ये बात गौर करने वाली जरूर है कि महाशय अपने आपको अता बताते है और अनगिनत संस्थाओं, संगठन और कमेटियों में दखल रखते है लेकिन दरगाह हित मे आज तक कोई आवाज उठाई हो ये उन्हें खुद को भी मालूम नही।

उत्तराखंड