वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण कर पाना  हुआ मुश्किल काम , जानिये वित्तमंत्री ने ईंधन की बढ़ती कीमतों का दोष किस के सिर मढ़ा ,,,,।

वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण कर पाना  हुआ मुश्किल काम , जानिये वित्तमंत्री ने ईंधन की बढ़ती कीमतों का दोष किस के सिर मढ़ा ,,,,।

वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण कर पाना  हुआ मुश्किल काम , जानिये वित्तमंत्री ने ईंधन की बढ़ती कीमतों का दोष किस के सिर मढ़ा ,,,,।

रुड़की

अनवर राणा।

देश मे रसोई गैस की कीमत बढ़ने से न केवल परिवारों का मासिक खर्च बढ़ जाता है बल्कि बहुत सारी चीजों की कीमत पर भी इसका असर पड़ता है! जब सिलिंडर की कीमत साढ़े पांच सौ रुपए थी तब तक तो सबसिडी मिला करती थी पर अब सरकार उसके बोझ से मुक्त है!उधर जिन गरीब परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत सिलिंडर उपलब्ध कराए गए थे उनकी क्षमता उनमें गैस भराने की नहीं रह गई है! कोरोना काल में काम धंधे बंद हो जाने रोजगार छिन जाने की वजह से बहुत सारे लोगों के लिए दो वक्त का भोजन जुटाना मुश्किल है मुफ्त सरकारी राशन पर निर्भर हो गए हैं व भला रसोई गैस खरीदने की हिम्मत कैसे जुटा पाएंगे! इस तरह रसोई गैस की मांग भी कोई खास नहीं बढ़ी है फिर भी सरकार इसकी कीमत पर काबू नहीं पा रही!वाणिज्यिक सिलिंडर का उपयोग बहुत सारे होटल रेस्तरां  रेहड़ी पटरी पर कारोबार करने वाले लोगों के अलावा कल कारखाने भी करते हैं जब गैस की कीमत बढ़ती है तो वस्तुओं की उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है! पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने से पहले ही माल ढुलाई महंगी हो गई है ऐसे में वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण पाना मुश्किल बना हुआ है! मगर पिछले दिनों जिस तरह वित्तमंत्री ने ईंधन की बढ़ती कीमतों का दोष कांग्रेस सरकार के ऊपर मढ़ दिया उससे जाहिर हो गया कि उनकी चिंता के केंद्र में महंगाई कहीं नहीं है अगर सरकार इसी तरह व्यावहारिक उपाय तलाशने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से बचती रहेगी, तो आने वाले दिनों में ये समस्याएं और बढ़ेंगी!!

उत्तराखंड