वक्फ बोर्ड उत्तराखण्ड के रिकॉर्ड में नही कोई दरगाह साबिर पाक का सज्जादा,चोर कभी कोतवाल नही हो सकता,,,,।

वक्फ बोर्ड उत्तराखण्ड के रिकॉर्ड में नही कोई दरगाह साबिर पाक का सज्जादा,चोर कभी कोतवाल नही हो सकता,,,,।

दरगाह साबिर पाक की दान में मिली जमीनों को बेचकर खाने वाले लोगो को मनघड़ंत अपने व परिवार के नाम के सामने हजरत, रहमतुल्ला आलेय, गद्दीनशीन जैसे लक़ब से आनी चाहिये शर्म ,,,,,,सूफी खलीक

वक्फ बोर्ड उत्तराखण्ड के रिकॉर्ड में नही कोई दरगाह साबिर पाक का सज्जादा,चोर कभी कोतवाल नही हो सकता,,,,।
रुड़की/कलियर
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड आंदोलनकारी सूफी खलीक अहमद ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की अपूर्व पांडेय को पत्र लिखकर कथित सज्जादो के द्वारा गुरुवार को खत्म शरीफ पर हजारों की भीड़ जुटाकर पैसा एकत्र करने व कोविड 19 की गाइडलाइन का उलंघन करने वालो के खिलाफ कार्यवाही की मांग की । उन्होंने बताया कि साबिर का मानने वाला साबिर पाक की दान की जमीनों को नही बेच सकता ओर न ही साबीरी सज्जादा हो सकता । उन्होंने कहा कि लगभग सात या आठ दशक पूर्व एक गरीब बेसहारा परिवार ने ज्वालापुर हरिद्वार से आकर सबीरे पाक के मजार पर महमूदपुर के मुजवरो से दिया बत्ती व साफसफाई का कार्य जबरदस्ती छीनकर अपना कब्जा जमा लिया था।बाद में मुजवरो व उक्त परिवार के बीच न्यायालयों में मुकद्दमा चला ओर दिया बत्ती की खिदमत का कार्य करने के लिये इस परिवार को मान्यता मिली।लेकिन ज्वालापुर से आये परिवार के लोगो की निगाह मुग़लबदशाह शाहजहां द्वारा दान स्वरूप दी गयी साबिर पाक के नाम जमीन पर लगी हुई थी।आइस्ता आइस्ता दौर गुजरता गया ओर चकबन्दी के दौरान उक्त परिवार के मुखियाओं ने सबीरे पाक की जमीन पर अपना कब्जा व जमीदारा दिखाकर जेरे इंतजाम की जगह फर्जी तरीके से अपना नाम खसरा खतौनी में दर्ज करा लिया।दरगाह का निजाम सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में होने के कारण किसी अधिकारी ने साबिर साहब की अचल संपत्ति की कोई देखभाल नही की जबकि बहुत बाद में मुकद्दमेबाजी शुरू हुई ओर वख्फ बोर्ड द्वारा समय पर प्रोकारी नही करने से इस कथित गद्दीनशीन परिवार के लोग एक्सपार्टी मुकद्दमा जीतते चले गये ओर दरगाह सबीरे पाक की जमीनों को फर्जी तरीके से कथित गद्दीनशीन परिवार के लोग मुकद्दमा विचाराधीन के दौरान ही बेचते चले गये।अब सब कुछ कथित गद्दीनशीन लोगो द्वारा बेचकर खाने के बाद सिर्फ दरगाह व चारो तरफ उर्स भरने वाली जमीन ही बची है जिसपर कथित भूमाफिया गद्दीनशीन लोग बेचने के लिये गिद्ध की नजर लगाये देख रहे है।दरगाह सबीरे पाक में आस्था रखने वाले सूफी खलीक अहमद ने कहा कि क्षेत्रीय लोगो व अकीदत मन्द लोगो की जागरूकता से उक्त उर्स वाली जमीन पर माननीय हाइकोर्ट के आदेश पर जिला बंदोबस्त अधिकारी न्यायालय में पूरे प्रकरण का मुकद्दमा विचाराधीन होने से कथित गद्दीनशीन लोगो के मंसूबे को पलीता लगा हुआ है।जो परिवार दरगाह सबीरे पाक की दान में मिली जमीनों को बेचकर खा गया हो उसको अपने घर के बड़े बुजर्गो व अपने नाम के सामने हजरत रहमतुल्ला आलेय लगाकर भी शर्म करनी चाहिये या नही यह एक बड़ा सवाल है।

उत्तराखंड