दरगाह प्रबंधकव स्टाफ ,हराम को भी हलाल सांझे,करे गुनाह ओर कमल समझे,,।

दरगाह प्रबंधकव स्टाफ ,हराम को भी हलाल सांझे,करे गुनाह ओर कमल समझे,,।

*दरगाह कार्यालय स्टाफ की आंधी लूट के कारण दरगाह दफ्तर वीरान,मशीन पर दान की रशीद कटवाने को जायरीन परेशान,दरगाह दफ्तर रहता है पूरे दिन वीरान,लाखो का नुकसान*

*पिरान कलियर;अनवर राणा;*

*उपरोक्त शीर्षक से छपी सोशियल मीडिया पर छपी रिपोर्ट से तिलमिलाये दरगाह रक्षक ने एक कॉमेंट ने यह तो सिद्ध कर दिया कि प्रशाद की नो0 एक दुकान पर वो किसी ओर के कहने व आदेश पर नही बैठाया गया बल्कि दरगाह प्रबंधक बने भूखे भेड़िये परवेज आलम दरगाह प्रबंधक के साथ बड़ा सौदा कर पहाड़ी गेट की दुकान नो0 2 से उठाकर प्रतिदिन बड़ी आय प्राप्त करने वाली दुकान पर बैठाया गया है।ओर नो02 पर दूसरे सुपरवाइजर जो दरगाह कार्यालय में दान की रशीद काटने वाली मशीन व डिस्पेच की ड्यूटी में लगा था उसको भी दूसरे के साझे में कर लूट की छूट प्रबंधक के द्वारा दी गयी बताई जा रही है।दरगाह कार्यालय इन दिनों लूट की बन्दरबांट के चलते कर्मचारियो के नदारद रहने से वीरान नजर आ रहा है जबकि एक अन्य उपनल कर्मी भी अपनी सीट से पूरा दिन की दौड़ धूंप कर अपने लिये मलाई ढूंढता नजर आ रहा है।वही नक्कारखाने में सुपरवाइजर व प्रबंधक की नाक के नीचे अवैध अतिक्रमण की कार्यवाही को अमली जामा पहनाया गया है ।दरगाह कार्यालय में दान की रशीद प्राप्त करने के लिये जायरीनों की भीड़ काफी इंतजार करने के उपरांत वापिस अपने गनतत्व को जा रही है ,अब देखना यह है कि हफ्ता भर से खाली पड़े दरगाह कार्यालय में जुमेरात को भी कोई दरगाह सुपरवाइजर दान की रशीद काटने वाली मशीन पर डयूटी देता है या नही या फिर दरगाह को प्राप्त होने वाली दान की लाखों की रकम का नुकसान आम दिनों की तरह है होता रहेगा।इस बात की सूद लेने वाला दरगाह कार्यालय का जिम्मेदार प्रबंधक परवेज आलम हफ्ता में दो दिन देर रात को आकर अपने बंधे बंधाई दरगाह कार्यालय स्टाफ के द्वारा अवैध रकम को लेकर वापिस चलता बन रहा है ।जबकि पूरा दिन कर्मचारियो के नदारद रहने से दरगाह कार्यालय वीरान बना है।इसकी सूद लेने का भी जब प्रबंधक को समय नही था तो फिर यहां पर अतिरिक्त सेवा बहाली के लिये अपने आकाओं के पीछे महीना भर क्यों दौड़ता फिर रहा था।यह एक सवाल दरगाह अक़ीददत मन्द लोगो मे चर्चा का विषय बनकर उभर रहा है।दरगाह की प्रतिदिन लाखो की आय को दरगाह कर्मचारियो की मार्फ़त हजारों में लाकर जानबूझकर दरगाह स्टाफ द्वारा अंजाम दिया जा रहा है वही पर पूरे साल दरगाह पर चढाये गए चढ़ावे को भी स्टोर रूम से दरगाह कार्यालय स्टाफ द्वारा प्रशाद की दुकानों के बहाने खाली कर दिया जा रहा है।क्योंकि जब जब दरगाह कर्मचारी दुकानों पर बैठाए जाते है तो कर्मचारियो द्वारा बिक्री की रकम तो दरगाह खाते में बहुत कम दर्शायी जाती है ओर माल लाखो का उठाकर अन्य बाहर के दुकानदारों को भेच दिया जाता है।जबकि लाखो रुपया दरगाह खाते में प्रतिदिन के हिसाब से जमा करने वाले ठेकेदारों को माल भी बाजार से मुहैया कर बेचकर दरगाह खाते में वार्षिक ठेके की रकम से प्रतिदिन का हिसाब दिया गया था लेकिन दरगाह की आय को नुकसान पहुंचाने का नायाब तरीका बनाकर दरगाह प्रशासन को गुमराह कर अधिकारियों से दरगाह की आय को बन्दरबांट करने की नीयत व प्रबंधक की भुखमरी हटाने व आमदनी की योजना बनाकर दुकानों पर कब्जा कर लिया है जिससे दरगाह को नुकसान हो रहा हर।लेकिन कोई भी अधिकारी इस ओर गम्भीरता से ध्यान नही देता दिखाई दे रहा है।ओर दरगाह कार्यालय स्टाफ दरगाह दफ्तर से गायब है जायरीन परेशान हो रहे है।*

उत्तराखंड