टीका भाई जब कव्वा खाना तो बटेर क्या बताना चरिथार्त:प्रबंधक न होने से लेखाकार की लचर प्रबंध व्यवस्था से करोड़ों का नुकसान,,,

टीका भाई जब कव्वा खाना तो बटेर क्या बताना चरिथार्त:प्रबंधक न होने से लेखाकार की लचर प्रबंध व्यवस्था से करोड़ों का नुकसान,,,

प्रबंधक न होने से लेखाकार की लचर प्रबंध व्यवस्था से करोड़ों का नुकसान,,,

उच्चाधिकारियों के नोटिस व निर्देशों पर नहीं होता पालन,लेखाकार को शह की चर्चा व्याप्त,,,
रुड़की।
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड प्रदेश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा आमदनी वाली दरगाह कलियर में स्थित है ओर उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी जिला हरिद्वार के कलेक्ट्रेट महोदय को जनहित याचिका 87/2011 के आदेश से मिली हुई है।तभी से लेकर दरगाह कार्यालय स्टाफ की देखरेख को जिलाधिकारी हरिद्वार के द्वारा यहां पर प्रबंध व्यवस्था दरुस्त करने के लिये एक प्रबंधक की नियुक्ति की जाती रही है।लेकिन जब से सीईओ वक्फ बोर्ड द्वारा यहां प्रबंधक/लेखाकार की नियुक्ति की जा रही है तभी से यहां की प्रबंध व्यवस्था लचर होकर दरगाह के करोड़ो रूपये का नुकसान वार्षिक जान बूझ कर दिया जा रहा है।अगर वक्फ बोर्ड का चैयरमेन या कोई सदस्य यहां भृमण के दौरान कोई बात पूछता है तो सफीक अहमद टका सा जवाब देता है कि में लेखाकार हूँ ओर प्रबंधक यहां पर नही हूँ।लेकिन लगभग दो साल से प्रबंधक व लेखाकार का कार्य उक्त आदमी बखूबी कर रहा है।इस भृष्ट व्यक्ति के रहते दरगाह के बकाया का तो कोई पैसा जमा नही किया गया बल्कि ठेकों में हेराफेरी कर कुछ ठेकों को प्रतिदिन के हिसाब से पिछले रेट पर ही चलवाया जा रहा है।हद तो तब हो गयी जब इन ठेकों की नीलामी लेने वाले ठेकेदार ने पैसा जमा नहीं किया तो उसको व उसकी फर्म को बलेक्लिष्ट करने की कार्यवाही समय रहते करनी चाहिये थी,परन्तु लालच वश उसको आठ माह लगभग बीतने पर भी बलेक्लिष्ट नही किया जाना ओर सम्बंधित ठेकों को प्रतिदिन पर चलाकर समय पर रोजाना पैसा जमा नहीं कराया जा रहा है।अब इस से ज्यादा लचर व्यवस्था क्या हो सकती है क्योंकि चर्चा इस बात की जोर पकड़ती जा रही है कि लेखाकार अपनी जिम्मेदारी से बच कर सब का जवाब एक ही देता है कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट से पूछ लो।ऐसा लगता है कि दरगाह के करोड़ो रूपये नुकसान देने में उन्है प्रदेश के किसी बड़े नेता व अधिकारी की फूल छूट मिली हुई है ।अब सवाल यह उठता है कि इस नुकसान का जिमेदार कौन है?

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