दरगाह के दान से होने वाली रोजा अफ्तारी भी चढ़ने लगी राजनीति की भेंट,,,

दरगाह के दान से होने वाली रोजा अफ्तारी भी चढ़ने लगी राजनीति की भेंट,,,

 

दरगाह के दान से होने वाली रोजा अफ्तारी भी चढ़ने लगी राजनीति की भेंट,,,

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष रमजान के मुकद्दस मोके पर कलियर क्षेत्र के गरीब ,मजलूम,विधवाओं को वक्फ की तरफ से करें आर्थिक मदद ,,,

रुड़की।
अनवर राणा।

उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के गठन को लगभग एक साल पूरा होने के बावजूद ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने व वक्फ के लगड भग्गो को जेल की हवा खिलाने के बार बार नारा देने वाले वक्फ बोर्ड अध्यक्ष की निगाहें उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक आय देने वाली दरगाह पर कब्जा जमाने मे लगीं है। कुछ हद तक तो उनकी मन्नत मुरादे पूरी भी हो चुकी है क्योंकि यहां अपने चहेते भाजपा के निवर्तमान अलप संख्यक अध्यक्ष की पत्नी को प्रबंधक के पद पर काबिज कराकर यहां की आय को ठिकाने लगाने की मुहिम वैसे पूरी होती प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं दे रही है।क्योंकि जिस महिला को प्रबंधक बनाया गया है उसने यहां पर पूर्व में 2017 से अब तक की दरगाह की आय को बर्बाद करने वालों की आंख दो माह का रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक कर खोलने की पहल की है।जिससे यहां पर करोंडो रुपये की बर्बादी का जिम्मेदार तय करने की अभी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड व जिला प्रशासन के द्वारा कोई जांच करने की योजना अमल में नही लायी जा रही है।जिससे लगता है कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सादाब शम्स के बड़े बड़े जीरो टॉलरेंश की सरकार के दावे खोखले ही साबित हो रहे है ओर लग ऐसा रहा है कि दरगाह की चल अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले सभी वक्फ माफियाओ को वक्फ अध्यक्ष का संरक्षण प्राप्त है।ऐसी चर्चाये दरगाह आस्थावान व क्षेत्र में व्याप्त होनी शुरू हो चुकी है।लोगों का कहना है कि दरगाह के दान के पैसे से राजनीतिक अफ्तारी कराने से अच्छा होता कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष रमजान के मुकद्दस मोके पर गरीब ,मजलूम,विधवाओं को वक्फ की तरफ से आर्थिक मदद कराने का काम करते।कल दरगाह की रोजा अफ्तारी के सम्बंध में वक्फ सदस्य/विधायक लक्सर से जानकारी चाही गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे इस सम्बंध में वक्फ बोर्ड अध्यक्ष या दरगाह की तरफ से कोई इत्तला नहीं है।

उत्तराखंड