जीरो टॉलरेंश सरकार : भृष्टाचारियो के मक्कड़ जाल में फंसा वक्फ बोर्ड,हाइकोर्ट द्वारा निर्देशित जांच व कार्यवाही भी कूड़े के ढेर में,,,

जीरो टॉलरेंश सरकार : भृष्टाचारियो के मक्कड़ जाल में फंसा वक्फ बोर्ड,हाइकोर्ट द्वारा निर्देशित जांच व कार्यवाही भी कूड़े के ढेर में,,,

जीरो टॉलरेंश सरकार : भृष्टाचारियो के मक्कड़ जाल में फंसा वक्फ बोर्ड,हाइकोर्ट द्वारा निर्देशित जांच व कार्यवाही भी कूड़े के ढेर में,,,

भृष्टाचारियो के खिलाफ बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित होने के बावजूद किर्यान्वयन न होने से वक्फ बोर्ड पर उठ रहे सवाल,,,

देहरादून।
ब्यूरो।

उत्तराखण्ड गठन के उपरान्त प्रदेश में वक्फ सम्पत्तियों की देखरेख करने के उद्देश्य से प्रदेश में अपना अलग वक्फ बोर्ड का ढांचा तैयार कर बोर्ड का गठन हो चुका है।प्रदेश के अलग अलग जिलों में वक्फ की सम्पत्तियों पर भूमाफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर बेशकीमती जमीनों को खुर्द बुर्द किया गया है।जिसके सर्वे आदि रखरखाव के लिये वक्फ बोर्ड का गठन कर इन सम्पत्तियों की देखभाल के लिये वक्फ बोर्ड वजूद में आये लगभग बीस वर्ष बीत जाने के बावजूद भी वक्फ बोर्ड की हालत बद से बदतर होती जा रही है। उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड में ज्यादातर समय कोंग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है अब से पूर्व सिर्फ 18 माह भाजपा का बोर्ड रहा ओर उसका कार्यकाल भी बहुत ही अजीब भ्र्ष्टाचार से युक्त रहा जिसका कारण यह रहा कि प्रदेश में सबसे ज्यादा आय देने वाली वक्फ दरगाह साबीर पाक की बागडोर भी माननीय उच्च न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका में आदेश कर वक्फ बोर्ड से हटाकर जिला प्रशासन को सौंपनी पड़ी। अब लगभग एक साल से वक्फ बोर्ड भाजपा के शासनकाल में ही फिर से बड़े बड़े दावे कर वजूद में आया ओर भ्र्ष्टाचार व करप्शन पर जीरो टॉलरेंश की नीति से भाजपा सरकार की उपलब्धियों का बखान कर वक्फ बोर्ड से भृष्टाचारी व करप्शन समाप्त करने के लिये तीन या चार बैठकों में बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित कर भ्र्ष्टाचार ,भृष्टाचारी ओर करप्शन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही बोर्ड द्वारा करने पर भी कोई अमल धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है।हद तो तब हो गयी जब वक्फ दरगाह साबीर पाक की आय को करोड़ों का नुकसान पहुंचा कर प्रबंधतंत्र से सांठगांठ के चलते कुछ कर्मचारियों की जांच पहले तो सालो साल प्रशासन स्तर पर लटकाई गयी बाद में रिट पेटिशन के जरिये आस्थावान ने भृष्टाचारियो की जांच न होने ओर कार्यवाही की मांग माननीय न्यायालय से की तो न्यायालय नैनीताल ने चार माह में जांच कराकर वक्फ सीईओ को कार्यवाही के निर्देश दिये थे,लेकिन आठ माह बीत जाने पर भी भृष्टाचारियो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कि जा रही है,जिसको लेकर पिटीशनर ने कॉउंटम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर कोर्ट के संज्ञान में पुनः मामले को लाया गया है।लेकिन वक्फ बोर्ड व दरगाह प्रबंधतंतन्त्र में बैठे भृष्टाचारी कर्मियों के मकड़ जाल में फंसे वक्फ बोर्ड की जीरो टॉलरेंश की करप्शन पर नीति धराशाही हो रही है।लोगों का कहना यह है कि भाजपा की जीरो टॉलरेंश की सरकार में ही अगर किसी बोर्ड के प्रस्ताव का कोई किर्यान्वयन न हो तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा,,,?अब देखना यह होगा कि वक्फ में भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंश की नीति लागू हो पाएगी या फिर पूर्व तरह ही भृष्टाचारी लोग वक्फ बोर्ड के सदस्यों को ठेंगा दिखाते रहेंगे।

उत्तराखंड