“उदंत मार्तंड के प्रकाशन दिवस को ही हर साल पत्रकारों द्वारा ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है”

“उदंत मार्तंड के प्रकाशन दिवस को ही हर साल पत्रकारों द्वारा ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है”

“उदंत मार्तंड के प्रकाशन दिवस को ही हर साल पत्रकारों द्वारा ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है”

जानकारी का अभाव : रुड़की के कुछ पत्रकारों द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाया हिंदी पत्रकारित दिवस,

रुड़की:

अनवर राणा।

देशभर में आज के दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया गया। दरअसल 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र प्रकाशित किया। जिसका नाम था-उदंत मार्तंड अर्थात (उगता सूरज) उस दौर के अखबारों ने आज़ादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। “उदंत मार्तंड के प्रकाशन दिवस को ही हर साल ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जबकि रुड़की में एक पत्रकारों के संगठन में आज के दिन यानी हिंदी पत्रकारिता दिवस को गणेश शंकर विधायर्थी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाया। बिडम्बना देखिए इस दौरान पंडित जुगल किशोरो शुक्ल का चित्र तक नही रखा गया, और ना ही प्रसारित खबरों में नाम तक लिखा गया। इसे जानकारी का अभाव कहे या लापरवाही, कि बुद्धिजीवियो के कार्यक्रम पर ही सवाल उठ रहे है। जबकि सोशल मीडिया के दौर में सभी जानकारी गूगल पर आसानी से प्राप्त हो सकती है।जानकारी के लिए बता दे कि गणेश शंकर विधायर्थी का जन्म 26 अक्टूबर 1890 को अतरसुइया में हुआ था। जबकि 25 मार्च को उनका बलिदान दिवस मनाया जाता है। ये कहना गलत नही होगा कि पत्रकारिता मजबूत स्तम्भ में से शंकर विधायर्थी भी एक है जिनकी क्रांतिकारी पत्रकारिता ने आजादी में अहम भूमिका निभाई। ये खबर किसी को नीचा दिखाने की हैसियत से नही लिखी गई बल्कि अपने साथियों को सही दिशा दिखाने की कोशिश के लिए लिखी गई है।

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