सालाना उर्स 2023: पुरानी परम्पराओं में सेंधमारी कर कुछ कथित सूफी बनने का ढोंग रचकर असल सूफियों के लिये खड़ी कर रहे मुसीबत,,,

सालाना उर्स 2023: पुरानी परम्पराओं में सेंधमारी कर कुछ कथित सूफी बनने का ढोंग रचकर असल सूफियों के लिये खड़ी कर रहे मुसीबत,,,

सालाना उर्स 2023: पुरानी परम्पराओं में सेंधमारी कर कुछ कथित सूफी बनने का ढोंग रचकर असल सूफियों के लिये खड़ी कर रहे मुसीबत,,,

कलियर:

अनवर राणा।

एक बड़ी प्रचलित कहावत है कि “जो दिखता है वो ही बिकता” है। इसी कहावत को कुछ आर्टिफिशियल सूफी सार्थक करते नजर आरहे है। अपने आपको साबित करने के लिए बाकायदा मीडिया/सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है। लोगो के बीच अपनी मजबूत पैठ बनाने के लिए पुरानी परम्पराओं में सेंधमारी करने से भी गुरेज नही हो रहा है। बहरहाल सूफ़ी का अर्थ न जानने वाले लोग भी सूफी बनने का ढोंग रचकर असल सूफियों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे है।
दरअसल सूफी-संतों की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का सालाना उर्स मेहंदी डोरी की प्रथम रस्म के साथ शुरू होता है। इसके अलावा अन्य रस्मों को सज्जादानशीन अदा करते है। मेहंदी डोरी की रस्म उर्स का आगाज करती है जिसमे बड़ी संख्या में अकीदतमंद लोग शिरकत करते है। मेहंदी डोरी की रस्म में अभी कुछ सालों से एक नया पैटन शुरू हुआ है, यहां ये बताना जरूरी है कि मेंहदी डोरी की रस्म 1903 में उस समय के सज्जादानशीन शाह अब्दुल रहीम साहब ने शुरू की थी, तब से आजतक दरगाह के सज्जादानशीन इस रस्म कप अदा करते आ रहे है। वर्तमान में सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी, उसी घर यानी अपने कदीमी घर से मेंहदी डोरी संदल लेकर दरगाह में पेश करते है। लेकिन पिछले कुछ सालों से सज्जादानशीन का कदीमी घर वर्तमान में किसका है ये बताने और खुद को प्रमोट करने की परंपरा ने भी जन्म लिया है। कुछ सालों तक बाकायदा इसके लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ और अब मीडिया में फोटो और प्रेस नोट जारी कर ये बताया जाता है कि मेंहदी डोरी की रस्म सज्जादानशीन के कदीमी घर जो वर्तमान में नन्हें मियां का मकान है, से शुरू होती है, इसके साथ ही ये भी बताया जाता है कि ये मेहंदी डोरी कुँवारी कन्याएं तैयार करती है इसके पीछे क्या लॉजिक है ये तो वही जाने लेकिन ये बात कई सवाल खड़े करती है। बहरहाल एक परिवार अलाप लगाने वाले अपने वर्तमान घर स्वामी कस नाम दर्शाकर क्या साबित करना चाहते है ये तो वही जाने लेकिन ये बात साफ है कि लोगों में अपनी पैठ बनानी है तो खुद का प्रचार प्रसार जरूरी है। सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी ने बताया मेंहदी डोरी की रस्म चांद दिखाई देने पर उनके कदीमी घर से शुरू होगी, जिसमे परिवार के सभी सदस्य सहयोग करते है।
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*”मेंहदी डोरी की रस्म का न्यौता…..*
आसपास के जिम्मेदार लोगों को मेंहदी डोरी की रस्म में शिरकत करने के लिए बाकायदा दावतनामा भेजा गया, जिसमे मेंहदी डोरी की रस्म को लेकर क्या-क्या कार्यक्रम होने है और मेंहदी डोरी कहा से शुरू होनी है कि जानकारी दी गई है।

उत्तराखंड