सरकारी सीलिंग व दरगाह की जमीन पर अवैध अतिक्रमण को रोकने का प्रशासन व प्रबंधतंत्र का सामने आया अद्भुत कारनामा,,,
पिछले वर्ष एसडीएम रुड़की द्वारा दरगाह की सील कराई गई चार अस्थायी दुकान पुनः एक के खुलवाने के लिये शासन के बड़े अधिकारी का पत्र बना चर्चा का विषय,,,
कलियर।
अनवर राणा।
पिरान कलियर दरगाह साबीर पाक के उर्स 2023 की तैयारियों को लेकर जिला अधिकारी हरिद्वार के द्वारा कई हफ्ताह पूर्व कलेक्ट्रेट रोशनाबाद में समस्त विभागों के अधिकारियों की मीटिंग में उर्स की तैयारियों को समय से पूर्व पूरा करने के निर्देश दिये थे, साथ ही सरकारी जमीन पर कहीं पर भी अवैध अतिक्रमण को हटाने के निर्देश भी उच्च न्यायालय नैनीताल व सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उर्स क्षेत्र से समस्त अवैध अतिक्रमण हटाने के आदेश दिये गए थे ।परंतु लगभग आज से उर्स शुरू हो चुका है ओर जिला प्रशासन की तरफ से पूरा दिन व्यवस्था बनाने के नाम पर हल्का लेखपाल भी यहीं पर केम्प कर यहां पर अस्थायी अवैध अतिक्रमण के नाम पर ठेली ,रेढ़ा वालों हटाने के बावजूद सीलिंग व सरकारी जमीन से कोई अवैध अतिक्रमण हटा नहीं पाया है बल्कि अगर लेखपाल का कोई बड़ा कारनामा माना जाये तो चार मीनार रोड़ पर अभी हाल ही में सीलिंग की जमीन पर रातोरात दुकाने खड़ी करवा कर उनको माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा स्टे के नाम पर अतिक्रमण कराने की चर्चा तो क्षेत्र में हो रही है,वहीं दो दुकान दरगाह की ऐसी भी है जिनको लगभग एक वर्ष पूर्व एसडीएम रुड़की के आदेश पर दरगाह प्रबंधन व तहसील प्रबंधन ने सील किया था।अब एक दुकान की बात की जाये तो अवैध अतिक्रमण में बनी अस्थायी दुकान के लिये मुख्य सचिव उत्तराखण्ड का पत्र सिर्फ उसको उर्स में खोलने के लिये आने की चर्चा भी दरगाह प्रबंधन के सूत्रों से की जा रही है।रही बात दूसरी दरगाह की दुकान की सील भी किसी ऐसी ही गुप्त शक्ति के ईसारे पर खोल दी गयी है।इस सम्बंध में दरगाह प्रबंधन या हल्का लेखपाल से जानकारी चाहने पर भी कुछ अजीब किस्म का ही जवाब मिल रहा है।अब रक्षक ही भक्षक बनेंगे तो फिर माननीय हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी यहां पर कोई मायने नहीं रखते है,जो सरकारी भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर दम तोड़ रहे है।क्षेत्र की जनता में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों से सांठगांठ के चलते अवैध अतिक्रमण को अवैध कमाई का जरिया भी समझ लिया गया है,यही कारण है कि अधिकारी व कर्मचारी मूकदर्शक बने है।