न्यायालय के आदेश पर महिला के पैर में गोली मारने के मामले में सरकारी अस्पताल रुड़की में तैनात तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल के खिलाफ फर्जी सप्लीमेंट्री रिपोर्ट बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज

न्यायालय के आदेश पर महिला के पैर में गोली मारने के मामले में सरकारी अस्पताल रुड़की में तैनात तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल के खिलाफ फर्जी सप्लीमेंट्री रिपोर्ट बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज

न्यायालय के आदेश पर महिला के पैर में गोली मारने के मामले में सरकारी अस्पताल रुड़की में तैनात तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल के खिलाफ फर्जी सप्लीमेंट्री रिपोर्ट बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज

हरिद्वार:

अनवर राणा।

झगड़े के दौरान महिला के पैर में गोली मारने के मामले में सरकारी अस्पताल रुड़की में तैनात तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल के खिलाफ फर्जी सप्लीमेंट्री रिपोर्ट बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराने के लिए दायर की निगरानी को अदालत ने खारिज कर दिया। चिकित्सक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने मजबूत पैरवी की। जिसके आधार पर कोर्ट ने माना कि दो चिकित्सक की विरोधाभासी राय को किसी एक चिकित्सक की लापरवाही नहीं माना जा सकता है। कोर्ट के फैसले से चिकित्सक के सिर पर लटक रही मुकदमे की तलवार हट गई।

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बोड्डाहेढ़ी गांव निवासी अमजद ने न्यायालय में शिकायत देकर बताया था कि उनकी मां तस्मीम जहां को गांव में ही झगड़े में गोली मार दी गई थी। जिनकी चोटों का मेडिकल सरकारी अस्पताल रुड़की में तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल ने किया था। लेकिन एम्स अस्पताल ऋषिकेश पेट का ऑपरेशन हुआ और उनके पेट से छर्रे निकाले गए। डॉक्टर पर यह आरोप था कि उन्होंने मुल्जिम पक्ष से मिलकर उन्हें मुकदमे में लाभ पहुंचाने के लिए सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में उनकी चोटें साधारण लिखीं। जबकि उनकी चोटें फायर आर्म की निकली। जोकि बेहद गंभीर और जान लेवा थी। डाक्टर वीरेंद्र नौटियाल के पूर्व में भी ऐसे मामले में जेल जाने का हवाला भी दिया गया। डाक्टर वीरेंद्र नौटियाल की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने न्यायालय को बताया कि सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में राय एक्स रे रिपोर्ट के आधार पर दी गई है न कि एम्स ऋषिकेश की रिपोर्ट के आधार पर। उन्होंने बहस करते हुए दलील दी कि डॉक्टर्स के पैनल ने भी इस सप्लीमेंट्री रिपोर्ट को आंशिक रूप से सही बताया है। वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने यह भी कहा कि किसी डॉक्टर का अगर कोई ओपिनियन गलत हो जाता है या किसी अन्य डॉक्टर से अलग होता है तो वह लापरवाही की श्रेणी में नहीं आ सकता। कोर्ट ने इसी सही मानते हुए निगरानी याचिका को खारिज कर दिया है।

——————हरिद्वार: झगड़े के दौरान महिला के पैर में गोली मारने के मामले में सरकारी अस्पताल रुड़की में तैनात तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल के खिलाफ फर्जी सप्लीमेंट्री रिपोर्ट बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराने के लिए दायर की निगरानी को अदालत ने खारिज कर दिया। चिकित्सक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने मजबूत पैरवी की। जिसके आधार पर कोर्ट ने माना कि दो चिकित्सक की विरोधाभासी राय को किसी एक चिकित्सक की लापरवाही नहीं माना जा सकता है। कोर्ट के फैसले से चिकित्सक के सिर पर लटक रही मुकदमे की तलवार हट गई।
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बोड्डाहेढ़ी गांव निवासी अमजद ने न्यायालय में शिकायत देकर बताया था कि उनकी मां तस्मीम जहां को गांव में ही झगड़े में गोली मार दी गई थी। जिनकी चोटों का मेडिकल सरकारी अस्पताल रुड़की में तत्कालीन डॉक्टर वीरेंद्र नौटियाल ने किया था। लेकिन एम्स अस्पताल ऋषिकेश पेट का ऑपरेशन हुआ और उनके पेट से छर्रे निकाले गए। डॉक्टर पर यह आरोप था कि उन्होंने मुल्जिम पक्ष से मिलकर उन्हें मुकदमे में लाभ पहुंचाने के लिए सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में उनकी चोटें साधारण लिखीं। जबकि उनकी चोटें फायर आर्म की निकली। जोकि बेहद गंभीर और जान लेवा थी। डाक्टर वीरेंद्र नौटियाल के पूर्व में भी ऐसे मामले में जेल जाने का हवाला भी दिया गया। डाक्टर वीरेंद्र नौटियाल की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने न्यायालय को बताया कि सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में राय एक्स रे रिपोर्ट के आधार पर दी गई है न कि एम्स ऋषिकेश की रिपोर्ट के आधार पर। उन्होंने बहस करते हुए दलील दी कि डॉक्टर्स के पैनल ने भी इस सप्लीमेंट्री रिपोर्ट को आंशिक रूप से सही बताया है। वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने यह भी कहा कि किसी डॉक्टर का अगर कोई ओपिनियन गलत हो जाता है या किसी अन्य डॉक्टर से अलग होता है तो वह लापरवाही की श्रेणी में नहीं आ सकता। कोर्ट ने इसी सही मानते हुए निगरानी याचिका को खारिज कर दिया है।
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उत्तराखंड