लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी के पास संसाधनों का अभाव,लेकिन हौंसले बुलंद।एक साथ कई मृतकों की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित,,,

लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी के पास संसाधनों का अभाव,लेकिन हौंसले बुलंद।एक साथ कई मृतकों की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित,,,

लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी के पास संसाधनों का अभाव,लेकिन हौंसले बुलंद।एक साथ कई मृतकों की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित,,,

रुड़की।

वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर एवं साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी ने वारिस बनकर जिन अपनों के किए थे निशुल्क अंतिम संस्कार,उन सभी की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित किया और सभी की आत्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर पुण्य आत्माओं को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति की ईश्वर से प्रार्थना की,वही क्रांतिकारी शालू सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास संसाधनों का अभाव है,उसके बावजूद भी वे कभी होंसला नहीं हारती,उनके बड़े भैया राजू सैनी के अलावा अब कुछ सहयोगी भी उनका सहयोग करने लगे हैं,साथ ही शालू सैनी ने कहा कि इस सेवा में जो भी दानदाता अपनी कमाई से पुण्य कार्य में लगाता है तो उसे उसका भी फल जरूर मिलता है और एक लावारिस को उसका वारिस व अंत समय में किसी को कफन नसीब हो सकता है,क्योंकि ना कोई साथ लेकर कुछ आता है और ना कोई कुछ लेकर जाता है।उन्होंने सभी से अपील भी की सामाजिक कार्य अकेले नहीं हो सकते,इसलिए वो सभी का सहयोग चाहती है,जिसका इस दुनिया में कोई नहीं है उनकी अंतिम बिदाई के सहयोगी जरूर बने।लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी के पास संसाधनों का अभाव,लेकिन हौंसले बुलंद।एक साथ कई मृतकों की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित
रुड़की।वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर एवं साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी ने वारिस बनकर जिन अपनों के किए थे निशुल्क अंतिम संस्कार,उन सभी की अस्थियों को शुक्रताल गंगा में किया विसर्जित किया और सभी की आत्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर पुण्य आत्माओं को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति की ईश्वर से प्रार्थना की,वही क्रांतिकारी शालू सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास संसाधनों का अभाव है,उसके बावजूद भी वे कभी होंसला नहीं हारती,उनके बड़े भैया राजू सैनी के अलावा अब कुछ सहयोगी भी उनका सहयोग करने लगे हैं,साथ ही शालू सैनी ने कहा कि इस सेवा में जो भी दानदाता अपनी कमाई से पुण्य कार्य में लगाता है तो उसे उसका भी फल जरूर मिलता है और एक लावारिस को उसका वारिस व अंत समय में किसी को कफन नसीब हो सकता है,क्योंकि ना कोई साथ लेकर कुछ आता है और ना कोई कुछ लेकर जाता है।उन्होंने सभी से अपील भी की सामाजिक कार्य अकेले नहीं हो सकते,इसलिए वो सभी का सहयोग चाहती है,जिसका इस दुनिया में कोई नहीं है उनकी अंतिम बिदाई के सहयोगी जरूर बने।

उत्तराखंड