1990 में बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व  में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए हुवे थे रवाना,,,

1990 में बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए हुवे थे रवाना,,,

1990 में बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व  में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए हुवे थे रवाना,,,

बहादराबाद:

राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन 30 अक्टूबर बहादराबाद क्षेत्र के अतमलपुर  बोंगला  गांव से विनय चौहान और चचेरे भाई नीरज चौहान  किशोरवस्था कारसेवक के रूप में भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री स्वर्गीय क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। अक्तूबर 1990  के पहले सप्ताह में ये लोग घरों से निकल गए थे। क्योंकि दूसरे हफ्ते ट्रेनें बंद होने के आदेश आ गए थे। प्रभु राम अपने दिव्य व भव्य मंदिर में पधारने पर के अवसर पर आंदोलन की यादें ताजा हो रही हैं।

अक्तूबर 1990 में राम मंदिर आन्दोलन अपने चरम पर था। उत्तर प्रदेश पुलिस राम भक्तों को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही थी। स्थानीय स्तर पर आंदोलन चला रहे नेता भूमिगत हो गए थे। लोगो का घरों से निकलना मुश्किल हो  रहा था।  नेताओ पर पहला जत्था भेजने का दबाव था। लेकिन कोई  अयोध्या जाने को कोई अयोध्या जाने को तैयार नहीं हो रहा था। तब बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व  में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए रवाना हुए। जिन्हें फैजाबाद के नजदीक सुहावल स्टेशन पर ट्रेन ने दोपहर के समय उतारा। पूरा दिन उन्हें अन्य कारसेवकों के साथ एक जंगल में ठहराया गया। रात के समय भूखे प्यासे कार सेवको को चलने के बाद अगले दिन सुबह एक अन्य जगल में ले जाया गया। जहां  पहले से देश के अन्य  स्थानों से आए कार सेवक ठहरे हुए थे। दो दिन उसी जंगल में बिताने के बाद नदी के रास्ते दिन भर चले। फिर एक जंगल में तमसा नदी के तट पर रोका गया था।। 4 दिन तक भूखे प्यासे जंगलों के रास्ते पैदल दिन रात चलते हुए सभी कारसेवक अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे थे। उस स्थान की भनक पुलिस को लग गई। कार सेवक सुबह सोकर उठे तो चारो तरफ से जंगल को पुलिस ने घेरा हुआ था। पुलिस ने उन्हें पकड़कर एक इंटर कॉलेज में रखा गया। वहां कार सेवको ने अगले दिन निकल कर अयोध्या पहुंचने के लिए प्लान बनाया तो उसकी पुलिस को भनक लग गई। अगले दिन पुलिस ने सैकड़ो बसें मंगाकर सभी कार सेवको को नैनी जेल इलाहाबाद भिजवाया। 15 दिन नैनी जेल में रहने के बाद 6 नवंबर में रिहाई हुई। रिहाई के बाद सीधे अयोध्या पहुंचे और सरयू में स्नान कर राम लला के दर्शन कर वापस लौटे।

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इस दौरान 30 अक्तुबर का गोलीकांड हो चुका था। दोनो चचेरे भाई घर वापस नही लोटे थे। गोलीकांड के एक 10 दिन  बाद गांव में पहुंचे तो गांव का माहौल बदला हुआ था। गांव में गम और मातम का माहौल था। गांव वाले दोनो चचेरे भाइयों के वापस आने की उम्मीद खो चुके थे। खुद संगठन के लोग भी।परेशान थे। क्योंकि उन्हें उनके परिजनों को जवाब देते नही बन रहा था। दोनो की माताओं का रो रोकर बुरा हाल था। अपने बेटों के वियोग रो-रोकर अपनी आंखें गंवा चुकी थी। अचानक अपने बच्चो को अपने सामने देखकर दोनों परिवार खुशी से झूम उठे थे।

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संस्मरण भाजपा के पूर्व जिला मंत्री विनय चौहान व नीरज चौहान की बताई गई आपबीती पर आधारितबहादराबाद: राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन 30 अक्टूबर बहादराबाद क्षेत्र के अतमलपुर बोंगला गांव से विनय चौहान और चचेरे भाई नीरज चौहान किशोरवस्था कारसेवक के रूप में भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री स्वर्गीय क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। अक्तूबर 1990 के पहले सप्ताह में ये लोग घरों से निकल गए थे। क्योंकि दूसरे हफ्ते ट्रेनें बंद होने के आदेश आ गए थे। प्रभु राम अपने दिव्य व भव्य मंदिर में पधारने पर के अवसर पर आंदोलन की यादें ताजा हो रही हैं।
अक्तूबर 1990 में राम मंदिर आन्दोलन अपने चरम पर था। उत्तर प्रदेश पुलिस राम भक्तों को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही थी। स्थानीय स्तर पर आंदोलन चला रहे नेता भूमिगत हो गए थे। लोगो का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा था। नेताओ पर पहला जत्था भेजने का दबाव था। लेकिन कोई अयोध्या जाने को कोई अयोध्या जाने को तैयार नहीं हो रहा था। तब बहादराबाद क्षेत्र अतमलपुर बोंगला से दो चचेरे भाई अपने एक दोस्त संजय के साथ भाजपा नेता क्रेश चंद जायसवाल के नेतृत्व में अयोध्या के लिए कार सेवा के लिए रवाना हुए। जिन्हें फैजाबाद के नजदीक सुहावल स्टेशन पर ट्रेन ने दोपहर के समय उतारा। पूरा दिन उन्हें अन्य कारसेवकों के साथ एक जंगल में ठहराया गया। रात के समय भूखे प्यासे कार सेवको को चलने के बाद अगले दिन सुबह एक अन्य जगल में ले जाया गया। जहां पहले से देश के अन्य स्थानों से आए कार सेवक ठहरे हुए थे। दो दिन उसी जंगल में बिताने के बाद नदी के रास्ते दिन भर चले। फिर एक जंगल में तमसा नदी के तट पर रोका गया था।। 4 दिन तक भूखे प्यासे जंगलों के रास्ते पैदल दिन रात चलते हुए सभी कारसेवक अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे थे। उस स्थान की भनक पुलिस को लग गई। कार सेवक सुबह सोकर उठे तो चारो तरफ से जंगल को पुलिस ने घेरा हुआ था। पुलिस ने उन्हें पकड़कर एक इंटर कॉलेज में रखा गया। वहां कार सेवको ने अगले दिन निकल कर अयोध्या पहुंचने के लिए प्लान बनाया तो उसकी पुलिस को भनक लग गई। अगले दिन पुलिस ने सैकड़ो बसें मंगाकर सभी कार सेवको को नैनी जेल इलाहाबाद भिजवाया। 15 दिन नैनी जेल में रहने के बाद 6 नवंबर में रिहाई हुई। रिहाई के बाद सीधे अयोध्या पहुंचे और सरयू में स्नान कर राम लला के दर्शन कर वापस लौटे।
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इस दौरान 30 अक्तुबर का गोलीकांड हो चुका था। दोनो चचेरे भाई घर वापस नही लोटे थे। गोलीकांड के एक 10 दिन बाद गांव में पहुंचे तो गांव का माहौल बदला हुआ था। गांव में गम और मातम का माहौल था। गांव वाले दोनो चचेरे भाइयों के वापस आने की उम्मीद खो चुके थे। खुद संगठन के लोग भी।परेशान थे। क्योंकि उन्हें उनके परिजनों को जवाब देते नही बन रहा था। दोनो की माताओं का रो रोकर बुरा हाल था। अपने बेटों के वियोग रो-रोकर अपनी आंखें गंवा चुकी थी। अचानक अपने बच्चो को अपने सामने देखकर दोनों परिवार खुशी से झूम उठे थे।
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संस्मरण भाजपा के पूर्व जिला मंत्री विनय चौहान व नीरज चौहान की बताई गई आपबीती पर आधारित

फाइल फोटो,,,,

उत्तराखंड