भगवान श्री राम को जब पिता ने वनवास की आज्ञा दी तो भगवान श्री राम ने हर्ष से किया स्वीकार पिताजी की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान श्री राम चले गये थे वनवास ,,,रमेश सेमवाल

भगवान श्री राम को जब पिता ने वनवास की आज्ञा दी तो भगवान श्री राम ने हर्ष से किया स्वीकार पिताजी की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान श्री राम चले गये थे वनवास ,,,रमेश सेमवाल

भगवान श्री राम को जब पिता ने वनवास की आज्ञा दी तो भगवान श्री राम ने हर्ष से किया स्वीकार पिताजी की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान श्री राम चले गये थे वनवास ,,,रमेश सेमवाल

रुड़की।

अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभ अवसर पर ज्योतिष गुरुकुलम में श्री राम कथा के छठे दिन कथा व्यास आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री राम को जब पिता ने वनवास की आज्ञा दी तो भगवान श्री राम ने हर्ष से स्वीकार किया।पिताजी की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान श्री राम वनवास को चले गए।राज सिंहासन को त्याग दिया,कितना महान चरित्र है कि प्रभु श्री राम का जो माता-पिता की आज्ञा को शिरोधार्य करके वनवास को चले गए और वनवास में प्रभु ने आदिवासियों व वनवासियों को गले लगाया।केवट को मित्र बनाया,शबरी के झूठे बेर खाए।हनुमान जी से भेंट हुई वानर  एकत्रित हुए और रावण का अंत करने के लिए भगवान ने अवतार ग्रहण किया,लेकिन प्रभु श्री राम ने सबको गले लगाया।प्रेम का संदेश दिया।भगवान श्री राम का चरित्र धारण करने योग्य है।भगवान श्री राम इस देश के प्राण हैं।कथा व्यास आचार्य सेमवाल ने कहा कि भगवान श्री राम को वनवास मिला तो लक्ष्मण जी ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगा।भाई-भाई का प्रेम कितना महान है।ये हमें उनसे सीखना चाहिए।भरत जी ने राजगद्दी स्वीकार नहीं की और भगवान श्री राम के खड़ाऊ लेकर राजपथ चलाया।श्री लक्ष्मण जी चौदह वर्षों के वनवास में कभी सोए नहीं।श्री राम की सेवा करते रहे।मां जानकी सीता मैया ने भी कहा कि मैं पत्नी का धर्म निभाऊंगी मैं भी आपके साथ वन को जाऊंगी,कितने महान परंपरा है सूर्यवंश की।भगवान श्री राम की परंपरा महान है,हमें इस परंपरा पर चलकर भारत देश को विश्व गुरु बनाना है।शत्रुघ्न जी मौन रहते हैं और सब भाइयों का कार्य करते हैं,कितनी महान परंपरा है।आज इसी की आवश्यकता है।भाई-भाई का प्रेम हो,पति-पत्नी में प्रेम हो, माता-पिता की सेवा हो,गौ सेवा हो,भगवान श्री राम को सभी से बहुत प्रेम करते हैं।ऋषि मुनियों की रक्षा करते हैं।युवा शक्ति को श्री रामचरितमानस का पाठ व हनुमान चालीसा का पाठ रोज करना चाहिए।हनुमान जी भगवान के प्रिय भक्त हैं।हनुमान जी से ब्रह्मचर्य,त्याग,तपस्या,भक्ति,समर्पण सीखना चाहिए।श्री हनुमान जी की पूजा करने से विद्यार्थियों को विद्या प्राप्त होती है व शक्ति मिलती है।ब्रह्मचर्य प्राप्त होता है,इसलिए श्री हनुमान जी श्री राम के प्रिय हैं।अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो रही है,उसी दिन से राम राज्य का उद्घोष प्रारंभ हो जाएगा।विश्व में भारत छा जाएगा।श्री राम मंदिर की प्रतिष्ठा से नए युग की शुरुआत हो रही है।श्री राम सभी को राम राज्य की प्रेरणा देंगे।पूरे भारत में सुख-शांति छा जाएगी और विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।हम सबको प्रभु श्री राम के चरित्र का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ना चाहिए तभी हम श्री राम के भक्त बन पायेंगे।इस अवसर पर गौ सेवा आयोग,उत्तराखंड के अध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल,निवर्तमान मेयर गौरव गोयल,सुलक्षणा सेमवाल,इंद्रमणि सेमवाल,अदिति सेमवाल, चित्र गोयल,राधा भटनागर, राजीव गोयल,आशा गोयल, वंदना,सोनिया पुंडीर,सीमा,सोनिया,मीनाक्षी,नरेश शास्त्री,प्रवीन शास्त्री,राम विलोचन शास्त्री व पार्षाद चंद्र प्रकाश बाटा आदि उपस्थित रहे।अंत में सभी भक्तों ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।रुड़की।अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभ अवसर पर ज्योतिष गुरुकुलम में श्री राम कथा के छठे दिन कथा व्यास आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री राम को जब पिता ने वनवास की आज्ञा दी तो भगवान श्री राम ने हर्ष से स्वीकार किया।पिताजी की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान श्री राम वनवास को चले गए।राज सिंहासन को त्याग दिया,कितना महान चरित्र है कि प्रभु श्री राम का जो माता-पिता की आज्ञा को शिरोधार्य करके वनवास को चले गए और वनवास में प्रभु ने आदिवासियों व वनवासियों को गले लगाया।केवट को मित्र बनाया,शबरी के झूठे बेर खाए।हनुमान जी से भेंट हुई वानर एकत्रित हुए और रावण का अंत करने के लिए भगवान ने अवतार ग्रहण किया,लेकिन प्रभु श्री राम ने सबको गले लगाया।प्रेम का संदेश दिया।भगवान श्री राम का चरित्र धारण करने योग्य है।भगवान श्री राम इस देश के प्राण हैं।कथा व्यास आचार्य सेमवाल ने कहा कि भगवान श्री राम को वनवास मिला तो लक्ष्मण जी ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगा।भाई-भाई का प्रेम कितना महान है।ये हमें उनसे सीखना चाहिए।भरत जी ने राजगद्दी स्वीकार नहीं की और भगवान श्री राम के खड़ाऊ लेकर राजपथ चलाया।श्री लक्ष्मण जी चौदह वर्षों के वनवास में कभी सोए नहीं।श्री राम की सेवा करते रहे।मां जानकी सीता मैया ने भी कहा कि मैं पत्नी का धर्म निभाऊंगी मैं भी आपके साथ वन को जाऊंगी,कितने महान परंपरा है सूर्यवंश की।भगवान श्री राम की परंपरा महान है,हमें इस परंपरा पर चलकर भारत देश को विश्व गुरु बनाना है।शत्रुघ्न जी मौन रहते हैं और सब भाइयों का कार्य करते हैं,कितनी महान परंपरा है।आज इसी की आवश्यकता है।भाई-भाई का प्रेम हो,पति-पत्नी में प्रेम हो, माता-पिता की सेवा हो,गौ सेवा हो,भगवान श्री राम को सभी से बहुत प्रेम करते हैं।ऋषि मुनियों की रक्षा करते हैं।युवा शक्ति को श्री रामचरितमानस का पाठ व हनुमान चालीसा का पाठ रोज करना चाहिए।हनुमान जी भगवान के प्रिय भक्त हैं।हनुमान जी से ब्रह्मचर्य,त्याग,तपस्या,भक्ति,समर्पण सीखना चाहिए।श्री हनुमान जी की पूजा करने से विद्यार्थियों को विद्या प्राप्त होती है व शक्ति मिलती है।ब्रह्मचर्य प्राप्त होता है,इसलिए श्री हनुमान जी श्री राम के प्रिय हैं।अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो रही है,उसी दिन से राम राज्य का उद्घोष प्रारंभ हो जाएगा।विश्व में भारत छा जाएगा।श्री राम मंदिर की प्रतिष्ठा से नए युग की शुरुआत हो रही है।श्री राम सभी को राम राज्य की प्रेरणा देंगे।पूरे भारत में सुख-शांति छा जाएगी और विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।हम सबको प्रभु श्री राम के चरित्र का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ना चाहिए तभी हम श्री राम के भक्त बन पायेंगे।इस अवसर पर गौ सेवा आयोग,उत्तराखंड के अध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल,निवर्तमान मेयर गौरव गोयल,सुलक्षणा सेमवाल,इंद्रमणि सेमवाल,अदिति सेमवाल, चित्र गोयल,राधा भटनागर, राजीव गोयल,आशा गोयल, वंदना,सोनिया पुंडीर,सीमा,सोनिया,मीनाक्षी,नरेश शास्त्री,प्रवीन शास्त्री,राम विलोचन शास्त्री व पार्षाद चंद्र प्रकाश बाटा आदि उपस्थित रहे।अंत में सभी भक्तों ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया।

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