नेत्रदान को महादान:उत्तराखंड पुलिस के जवान ने, जो आकस्मिक सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार बने लेकिन मृत्यु के बाद अपने नेत्रदान महादान से दो नेत्रहीन के जीवन में भर गये रौशनी ,,,
हरिद्वार:
नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इससे दृष्टिहीन व्यक्तियों का दुनिया देखने का सपना पूरा होता है। दृष्टिहीन व्यक्तियों के इस सपने को साकार करने के लिए कुछ लोग अपने जीवनकाल में ही नेत्रदान करने का निर्णय लेते है, कुछ ऐसा ही किया था उत्तराखंड पुलिस के जवान ने, जो आकस्मिक सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार बने लेकिन मृत्यु के बाद अपने नेत्रदान महादान से दो नेत्रहीन के जीवन में रौशनी भर गए। दरअसल दो दिन पूर्व नवोदय नगर हरिद्वार में सड़क दुर्घटना के कारण जान गवाने वाले उत्तराखंड पुलिस के जवान स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह चौहान जाते जाते दो लोगों का जीवन रोशन कर गए। अपने जीवनकाल में उन्होंने नेत्रदान करने का निर्णय लिया था, इस निर्णय का समर्थन करने वाले उनके भाई स्वराज चौहान व राजेश चौहान की आमजन खूब प्रशंसा कर रहे है। एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल ने बताया स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह चौहान जाते-जाते मित्रता, सेवा, सुरक्षा के असल मायने सीखा गए, उनके नेत्रदान से दो नेत्रहीन लोग अपने सपनो का संसार देख पाएंगे। हम सभी को उनके कम उम्र में चले जाने का दुःख है। परिजनों का यह निर्णय सराहनीय है।