मौन पालक सदस्यों में शहद खरीद शुरू करवाने व प्रधानमंत्री की प्रिय योजना “स्वीट क्रांति” को बचाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एडीएम हरिद्वार को सौंपा,,,
हरिद्वार:
मधुक्रांति बीफार्मर्स वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों व मौन पालक सदस्यों में शहद खरीद शुरू करवाने व प्रधानमंत्री की प्रिय योजना “स्वीट क्रांति” को बचाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एडीएम हरिद्वार कप सौंपा। जिसमे मधुक्रांति बी फार्मर्स वेल्फेयर सोसाइटी के जिला अध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया की शहद में बेतहाशा सिरप (राइस सौरप, कॉर्न सिरप) की मिलावट की जा रही है जिसे FSSAI के मौजूदा मानकों के तहत परीक्षणों में पता लगा पाना अब असंभव हो गया है और जो समय के अनुसार नए परीक्षण लागू किए जाने चाहिए थे जैसे कि NMR, TMR, SMR, HRMS को अधिसूचित नहीं किया गया है। उन्होंने बताया की नेशनल बी बोर्ड के समक्ष भी इस मुद्दे को कई बार रखा गया लेकिन वे भी नए परीक्षण लागू करवाने में असमर्थ रहे। धड़ल्ले से शहद में सिरप की मिलावट करके विदेशों में भी शहद का निर्यात किया जा रहा है और मिलावट के कारण हमारे अमृत रूपी शहद के विदेशों में अच्छे भाव नहीं मिल पा रहे है क्योंकि मिलावट भी वजह से भारत के शहद को TRUE SOURCE एजेंसी द्वारा हाई रिस्क कैटेगरी में भी रखा गया है। शहद में सिरप की मिलावट के कारण मधुमक्खी पालकों के शुद्ध शहद का कोई खरीददार नहीं है पिछले तीन महीने से सभी ने खरीद बंद कर रखी है और सिरप की मिलावट के बारण ही पिछले कई सालों से शहद उत्पादक किसानों को उत्पादन लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण लगभग सभी मधुमक्खी पालक कर्जवान हो चुके हैं और आत्महत्या के कगार पर पहुंच चुके हैं और कुछ मधुमक्सी पालक किसान तो आत्महत्या तक कर चुके हैं।मधुक्रांति बीफार्मर्स वेलफेयर सोसाइटी के जिला अध्यक्ष पंकज कुमार ने जिले में मौजूद मौन पालकों के साथ मिल कर अपनी 10 मांगों को जिला कलेक्टर भवन जाकर एडीएम हरिद्वार को ज्ञापन सौंपा और 7 दिन के भीतर कार्यवाही की मांग रखी। 7 दिन में मधुमक्खी पालक किसानों की मांगो पर कारवाही नहीं हुई तो मधुमक्खी पालक किसान आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
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ये है 10 मांगे….
1:- सभी ब्रांडेड कंपनियों, सभी निर्यातक कंपनियों और ट्रेडर्स की शहद खरीद और बिक्री की जांच के लिए स्वतंत्र SIT गठित की जाए और उस SIT में हमारे संगठन को भी शामिल किया जाए जिससे सभी के शहद खरीद और विक्री की निष्पक्ष जांच हो सके।
2:- उत्पादन लागत मूल्य से ऊपर शहद की खरीदारी को सुनिश्चित किया जाए।
3:- मौन पालकों को पॉलिनेशन भत्ता दिया जाए।
4:- FSSAI द्वारा नए परीक्षणों (NMR, TMR, SMR, HRMS मानकों को अधिसूचित किया जाए।
5:- Apiculture के लिए डायरेक्टरेट ऑफ Apiculture बनाया जाए तथा हॉर्टिकल्चर विभाग से एपीकल्चर को अलग किया जाए।
6:- नेशनल वी बोर्ड को भंग किया जाए।
7:- शुद्ध शहद और जमे हुए शुद्ध शहद की एडवर्टाइजमेंट करके उपभोक्ता को जागरूक किया जाए।
8:- मधुमक्खी मित्र पेड़ पौधे लगाए जाएं।
9:- जो कीटनाशक विदेशों में प्रतिबंधित हैं उनका हमारे देश में अत्यधिक प्रयोग हो रहा है जिससे हर साल लगभग 10 से 15% मधुमक्खियों (मौन पालन) मर जाती हैं उन सभी बीटनाशकों को प्रतिबंधित किया जाए जो मधुमक्खी फ्रेंडली ना हो।
10:- भारत सरकार (वाणिज्य मंगलय) द्वारा लागू किए गए मिनिमम एक्सपोर्ट पाइस (MEP) का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे किसानों को उत्पादन लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। विदेशों में मिलावटी शहद भेजा जा रहा है। मिलावटी शहद के कारण ही हमारे देश को हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है और इसी कारण इंटरनेशनल मार्केट में भारत के शहद के अच्छे रेट नहीं मिल रहे। मिलावटी शहद पर रोक लगाना अत्यंत जरूरी है।