विधायक और उनकी बहन के बीच रहा विवाद:
अर्जी खारिज होने से विधायक प्रदीप बत्रा को लगा बड़ा झटका,केस दर्ज होने पर बढ़ सकती है मुश्किलें
हरिद्वार(रोशनाबाद)
अनवर राणा।
।किसी न किसी मामले को लेकर लगातार सुर्खियां बटोर रहे नगर विधायक एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।मामला पारिवारिक संपत्ति को कब्जाने का है,जिसमें उनकी बहन ने ही उनपर आरोप लगाया हुआ है,जिसमें विधायक और उनकी बहन के बीच विवाद चल रहा है।माननीय अदालत ने विधायक की चुनौती याचिका को निरस्त कर दिया है,जिससे रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा और उनकी बहन के बीच चल रहे विवाद में प्रदीप बत्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।हरिद्वार के एडीजी प्रथम की कोर्ट में विधायक की ओर से डाली गई चुनौती याचिका को निरस्त कर दिया गया है।मामले को लेकर निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया है।वर्ष सितंबर 2023 में रुड़की विधायक की बहन ने उनपर फर्जी दस्तावेज के माध्यम से संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया था,जिसमें अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रुड़की ने विधायक प्रदीप बत्रा व अन्य के खिलाफ 156(3) के तहत प्रार्थना-पत्र पर सुनवाई करते हुए पुलिस को मुकद्दमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।उक्त् मामले में रुडकी विधायक प्रदीप बत्रा ने जिला सत्र न्यायालय में न्यायालय के आदेश निरस्त करने की मांग की थी,जिसपर सुनवाई करते हुए जिला सत्र न्यायालय ने अवर न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए फौजदारी निगरानी निरस्त कर दिया।विधायक प्रदीप बत्रा की बहन मंजू कपूर पत्नी अनिल कपूर,निवासी जीवन पार्क,उत्तर नगर,दिल्ली ने गत वर्ष 2023 में प्रदीप बत्रा तथा उसके पुत्र अर्जुन बत्रा व मयंक पुत्र अशोक कुमार आदि के खिलाफ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रुड़की के न्यायालय में 156 (3) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।उन्होंने न्यायालय को बताया था कि विपक्षी प्रदीप बत्रा जोकि उनके भाई हैं,उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर उनके जाली शपथ पत्र दिनांक-19 मार्च 2019 में तैयार किया।शपथ का आधार था कि उनकी बहन मंजू कपूर ने माता के नाम की संपत्ति में अपना हक अपने भाई प्रदीप बत्रा के हक में सरेंडर कर दिया है।उस शपथ पत्र में हिंदी भाषा में हस्ताक्षर किए गए थे,जबकि मंजू कपूर ने कभी किसी भी दस्तावेज अथवा शपथ पत्र पर अपने हस्ताक्षर हिंदी भाषा में नहीं किए हैं।आरोप था कि शपथ पत्र के आधार पर विधायक भाई ने माता की समस्त चल-अचल संपत्ति अपने नाम करवा ली।सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजूश्री जुयाल ने निगरानी को निरस्त कर दिया और अवर न्यायालय के आदेश 5 सितंबर 2023 को बरकरार रखा।न्यायालय के इस निर्णय के बाद अब नगर विधायक के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किए जाने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस उक्त् प्रकरण में मुकद्दमा दर्ज कर कितनी जल्दी करवाई अमल में लाएगी।