उत्तराखंड मैदानी महासभा ने प्रदेश सरकार से कैबिनेट में पहाड़ी क्षेत्रों के समान मैदानी क्षेत्रों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की,,,

उत्तराखंड मैदानी महासभा ने प्रदेश सरकार से कैबिनेट में पहाड़ी क्षेत्रों के समान मैदानी क्षेत्रों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की,,,

उत्तराखंड मैदानी महासभा ने प्रदेश सरकार से कैबिनेट में पहाड़ी क्षेत्रों के समान मैदानी क्षेत्रों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की,,,
हरिद्वार:
उत्तराखंड मैदानी महासभा ने प्रदेश सरकार से कैबिनेट में पहाड़ी क्षेत्रों के समान मैदानी क्षेत्रों को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की है। महासभा के अध्यक्ष राकेश राजपूत एडवोकेट ने कहा कि उत्तराखंड को पहाड़ और मैदान में बांटने वाले लोगों को उत्तर प्रदेश से सीख लेनी चाहिए, जहां क्षेत्रीय भेदभाव के बिना सभी को समान अवसर दिए जाते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तराखंड मूल के योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उत्तराखंड के कई प्रत्याशी जीतकर विधायक बने हैं, जिससे साफ है कि पूरे भारत में उत्तराखंड के लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता।
राकेश राजपूत ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में मैदानी क्षेत्र के लोगों के साथ लंबे समय से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का हवाला देते हुए कहा कि ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्हें ओछी राजनीति के तहत प्रताड़ित कर इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया। इसे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
राकेश राजपूत ने जोर देकर कहा कि मैदानी महासभा पूरे उत्तराखंड के हितों की बात करती है। मैदान के लोग भी इस राज्य के निवासी हैं और उन्होंने भी राज्य निर्माण में समान रूप से संघर्ष किया है। इसलिए उनके साथ भेदभाव करना न्यायसंगत नहीं है। राकेश राजपूत एडवोकेट ने कहा कि प्रदेश को एक बार फिर एन.डी. तिवारी जैसे कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता है, जिन्होंने अपने कार्यकाल में प्रदेश के आर्थिक विकास को नई दिशा दी थी।
राकेश राजपूत ने कहा कि एन.डी. तिवारी ने अपने कार्यकाल में उत्तराखंड में हजारों करोड़ रुपये का निवेश कराते हुए सिडकुल (State Industrial Development Corporation of Uttarakhand Ltd.) की स्थापना कराई थी, जिससे प्रदेश में औद्योगिक क्रांति का आगाज हुआ।

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