तीर्थराज हरिद्वार में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना और युग निर्माण का भव्य केंद्र ‘विश्व सनातन महापीठ’ होगी स्थापित,,,

तीर्थराज हरिद्वार में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना और युग निर्माण का भव्य केंद्र ‘विश्व सनातन महापीठ’ होगी स्थापित,,,

तीर्थराज हरिद्वार में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना और युग निर्माण का भव्य केंद्र ‘विश्व सनातन महापीठ’ होगी स्थापित,,,
हरिद्वार:
तीर्थराज हरिद्वार में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना और युग निर्माण का भव्य केंद्र ‘विश्व सनातन महापीठ’ स्थापित होगी। तीर्थ सेवा न्यास ने बुधवार को हरिद्वार में मीडिया के सामने इसकी औपचारिक घोषणा की है। यह महापीठ सनातन परंपरा, वेद-विज्ञान, संत संस्कृति, सेवा और शौर्य का ऐसा संगम बनेगी, जहां शास्त्र और शस्त्र दोनों को समान प्रतिष्ठा मिलेगी। महापीठ की स्थापना पर प्रथम चरण में करीब 300 करोड़ रुपये और पूर्ण निर्माण पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रेस क्लब हरिद्वार में आयोजित पत्रकार वार्ता में तीर्थ सेवा न्यास के संरक्षक व परमाध्यक्ष बाबा हठयोगी महाराज ने बताया कि ‘विश्व सनातन महापीठ’ केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि भारतवर्ष में सनातन धर्म की गौरवशाली पुनर्स्थापना, संत परंपरा के संरक्षण और वेद-धर्म-संस्कृति के प्रचार-प्रसार का दिव्य केंद्र होगी। यह युग निर्माण की वह प्रयोगभूमि होगी, जहां धर्म का दर्शन, पराक्रम, परंपरा, विज्ञान और संस्कृति एक साथ जीवंत दिखेंगे।
न्यास के अध्यक्ष रामविशाल दास महाराज ने कहा कि यह पावन स्थल वह केंद्र होगा, जहां यज्ञ से ऊर्जा, तप से शक्ति, सेवा से राष्ट्र निर्माण और सदाचार से समाज निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विश्व सनातन महापीठ के लिए भूमि चयन समिति गठित कर दी गई है और शीघ्र ही भूमि चिन्हित कर कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
महापीठ की निर्माण योजना
भूमि पूजन: 21 नवंबर 2025
गौ संरक्षण एवं यज्ञशाला का उद्घाटन: 21 नवंबर 2026
महापीठ का उद्घाटन समारोह: 22 फरवरी 2029
प्रथम चरण का बजट: ₹300 करोड़
पूर्ण निर्माण लागत: ₹500 करोड़ प्रस्तावित
बनेंगी 108 यज्ञशालाएं, गुरुकुल व संत निवास
रामविशाल दास महाराज ने बताया कि महापीठ परिसर में 108 यज्ञशालाएं, वैदिक गुरुकुल, गौ संरक्षण एवं शोध केंद्र की स्थापना की जाएगी। वैदिक गुरुकुल में शास्त्र, संस्कृत, वेद, आयुर्वेद, ज्योतिष आदि विषयों की शिक्षा प्राचीन परंपरा के अनुसार दी जाएगी।
चारों शंकराचार्यों, तेरह अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वरों व महंतों के लिए स्थायी संत निवास, 108 संत कुटिया, 1008 भक्त निवास भवन, तपस्वियों व श्रद्धालुओं के लिए स्थायी आवास बनाए जाएंगे।
सनातन संसद और शौर्य प्रशिक्षण केंद्र भी होंगे
‘धर्मादेश मंच’ की स्थापना कर पूरे देश को सनातन जीवन पद्धति से जुड़े दिशानिर्देश व आदेश जारी किए जाएंगे। वातानुकूलित संसद परिसर का निर्माण कर ‘सनातन संसद’ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाएगा।
संस्कार व शौर्य प्रशिक्षण केंद्र में हर वर्ष 1 लाख संस्कारित युवा योद्धाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें शस्त्र विद्या, आत्मरक्षा, धर्म युद्ध नीति व सैन्य अनुशासन का अभ्यास कराया जाएगा, ताकि आवश्यकता पड़ने पर धर्म और राष्ट्र रक्षा में वे संकल्पपूर्वक सहभागी बन सकें।
स्वरोजगार और सांस्कृतिक संरक्षण भी होगा केंद्रित
स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र में युवाओं को शिल्प, आयुर्वेद, कृषि, गौसेवा, डिजिटल सेवा जैसे विषयों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, सभी मत, पंथ और संप्रदायों के लिए प्रतिनिधित्व स्थलों का निर्माण किया जाएगा।
सनातन संग्रहालय और धर्म साहित्य भंडार के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
न्यास के वरिष्ठ सदस्य महंत ओमदास महाराज ने कहा कि महापीठ का निर्माण योजनाबद्ध ढंग से किया जाएगा, जिससे हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यह केवल वर्तमान नहीं, आने वाली सैकड़ों वर्षों के लिए एक ऐसी आधारशिला होगी, जो भारत को धर्म, दर्शन, विज्ञान और नेतृत्व में पुनः विश्वगुरु बनाएगी। पत्रकार वार्ता में समन्वयक शिशिर चौधरी, उपाध्यक्ष अशोक सोलंकी, डॉ. बृजेंद्र राजपूत समेत अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।

उत्तराखंड