सुराज सेवादल ने पूछा– ये कैसी जीरो टॉलरेंस! भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई न होने पर उठाए सवाल..
: संगठन ने भ्रष्टाचार के बिंदुवार मामले रखकर कमिश्नर दीपक रावत को सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम
हल्द्वानी:
सुराज सेवादल ने भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार चुप्पी साधे बैठे शासन-प्रशासन पर तीखे सवाल खड़े किए हैं। सोमवार को संगठन के कार्यकर्ताओं ने कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया कि “जीरो टॉलरेंस” नीति सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है। वास्तविकता ये है कि न तो पूर्व में सौंपे गए ज्ञापनों पर कार्रवाई हुई और न ही मुख्यमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया।
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बिंदुवार गिनाए पांच गंभीर मामले
सुराज सेवादल के अध्यक्ष रमेश जोशी के अनुसार, ज्ञापन में पांच गंभीर मामलों का उल्लेख किया गया है, जिनमें अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है:
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कौशल विकास योजना में घोटाला: कई स्थानों पर बिना प्रशिक्षण कराए संस्थाओं को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। अधिकारियों ने 15 दिन में कार्रवाई का भरोसा दिलाया था, लेकिन एक माह बीतने के बावजूद कोई हलचल नहीं हुई।
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निजी भूमि पर सरकारी खर्च: उधम सिंह नगर जिले में एक निजी जमीन पर सरकारी फंड से बिजली लाइन बिछाई गई। इससे न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ बल्कि जवाबदेही भी तय नहीं की गई।
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फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान: विभागीय कार्यों में एमबी (मेजरमेंट बुक) पर एसडीओ के जाली हस्ताक्षर कर भुगतान किए गए। यह सीधा-सीधा वित्तीय भ्रष्टाचार का मामला है।
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सरकारी भूमि पर अवैध कॉम्प्लेक्स: एक सरकारी भूमि पर बिना अनुमति निर्माण हुआ, जिसे सील करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन न परिसर सील हुआ, न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई।
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अर्धसैनिक बलों को कार्यालय नहीं: लगातार मांगों के बावजूद अर्धसैनिक बलों के लिए बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गई। अधिकारियों के आश्वासन हवा-हवाई साबित हुए।
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आयुक्त पर जताया भरोसा, शासन को घेरा
ज्ञापन में मंडलायुक्त दीपक रावत की ईमानदारी और कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा गया कि वह यदि चाहें तो इन मामलों में तेजी से कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन शासन स्तर पर हो रही लापरवाही न केवल चिंता का विषय है, बल्कि “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर भी सवाल खड़े करती है।
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15 दिन का अल्टीमेटम, आंदोलन की चेतावनी
सेवादल कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि यदि 15 दिनों के भीतर इन मामलों की जांच शुरू नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन का रुख अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि जनता अब जवाब चाहती है और भ्रष्टाचार के मामलों में चुप्पी अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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