कप्तान डोबाल की अगुवाई में हरिद्वार पुलिस की रणनीति रही कारगर, कांवड़ मेला शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और नियंत्रण में सम्पन्न, स्थानीय लोगों को मिला सुकून,,,

कप्तान डोबाल की अगुवाई में हरिद्वार पुलिस की रणनीति रही कारगर, कांवड़ मेला शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और नियंत्रण में सम्पन्न, स्थानीय लोगों को मिला सुकून,,,

कप्तान डोबाल की अगुवाई में हरिद्वार पुलिस की रणनीति रही कारगर, कांवड़ मेला शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और नियंत्रण में सम्पन्न, स्थानीय लोगों को मिला सुकून,,,

हरिद्वार:
सावन के अंतिम चरण में जब कांवड़ यात्रा अपनी चरम रफ्तार पर थी, तब हरिद्वार जैसे संवेदनशील शहर में न तो कोई बड़ी अव्यवस्था सामने आई, न ही यातायात पूरी तरह चरमराया और न ही स्थानीय निवासियों की दिनचर्या बाधित हुई। यह सब संभव हुआ एक सधी हुई रणनीति, समयबद्ध योजना और कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल के नेतृत्व में किए गए कठोर क्रियान्वयन से। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के साथ बेहतर समन्वय में पुलिस ने न केवल श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित किया, बल्कि स्थानीय नागरिकों के जनजीवन को भी सामान्य बनाए रखा। खास बात यह है कि प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव के चलते मिलनी पढ़ने से पहले ही बड़ी संख्या में जवानों को रिलीव कर दिया गया था।
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कोई कॉलोनी सील नहीं, कोई जनजीवन ठप नहीं
बीते वर्षों में कांवड़ के दौरान हरिद्वार की कई कॉलोनियों में हालात ‘हाउस अरेस्ट’ जैसे हो जाते थे। तेज डीजे, कॉलोनी के भीतर कांवड़ियों की घुसपैठ, सड़कों पर खुले में खाना बनाना और शोर-शराबे से बच्चों, बुजुर्गों और कामकाजी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती थी।
इस बार तस्वीर बिल्कुल उलट थी। एसएसपी डोबाल ने कांवड़ यात्रा के प्रमुख सप्ताह से पहले ही अधिकारियों के साथ मैराथन बैठकें कर रूट डायवर्जन, पिकेटिंग, स्मार्ट बैरियर प्वाइंट्स और मोबाइल पेट्रोलिंग जैसी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया। खासतौर पर शहर की कॉलोनियों और भीतरी संपर्क मार्गों पर सख्त नाकेबंदी कराई गई।
निर्देश दिए गए कि सिर्फ लोकल रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहन ही प्रवेश कर सकें। नतीजा यह रहा कि डाक कांवड़ियों की भीड़ हाइवे, बायपास और गंगा घाट तक सीमित रही। कॉलोनियों में शांति बनी रही।
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हरिद्वार के हाइवे और प्रमुख मार्गों पर इस बार वह आम दृश्य नहीं दिखा, जहां घंटों जाम में फंसे लोग मदद को तरसते हों। पुलिस के पास न सिर्फ पर्याप्त फोर्स थी, बल्कि उसका बेहतर डिप्लॉयमेंट और कम्युनिकेशन सिस्टम भी सक्रिय रहा। हर रूट पर पेट्रोलिंग यूनिट तैनात थी, जो न सिर्फ जाम तोड़ने बल्कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने को तैयार रही।
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शहरवासियों ने जताया संतोष और आभार
कांवड़ यात्रा को लेकर इस बार शहरवासियों में संतोष का भाव साफ झलका। कॉलोनीवासियों, व्यापार मंडलों और सामाजिक संगठनों ने खुलकर हरिद्वार पुलिस की सराहना की। कई संस्थाओं ने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर धन्यवाद पत्र भी सौंपे। लोगों ने कहा कि — “पहली बार ऐसा हुआ कि हम बिना डर, शोर और अराजकता के कांवड़ यात्रा के दौरान सामान्य दिनचर्या जी पाए।”
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हरिद्वार बना प्रशासनिक अनुशासन का उदाहरण
सिर्फ भीड़ नियंत्रण नहीं, बल्कि समग्र व्यवस्था—स्वच्छता, कानून व्यवस्था, आपात स्थिति प्रबंधन—हर मोर्चे पर इस बार हरिद्वार पुलिस और जिला प्रशासन का तालमेल देखने लायक था। यह मेला सिर्फ श्रद्धा और आस्था का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह साबित कर गया कि अगर नेतृत्व स्पष्ट, रणनीति मजबूत और अमल सख्त हो, तो लाखों की भीड़ और शांत व्यवस्था एक साथ संभव है।
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“कैप्टन कूल” बना हरिद्वार का भरोसा
विधायक उमेश कुमार द्वारा एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल को ‘कैप्टन कूल’ कहे जाने की सोशल मीडिया पोस्ट इस मेला व्यवस्था की जनमानस में सटीक स्वीकार्यता का प्रतीक बन गई।

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