सुहेब गेस्ट हाउस में हजरत शाह सकलेन मियां की दीन की रोशनी में हुई महफ़िल,,,,।

सुहेब गेस्ट हाउस में हजरत शाह सकलेन मियां की दीन की रोशनी में हुई महफ़िल,,,,।

सुहेब गेस्ट हाउस में हजरत शाह सकलेन मियां की दीन की रोशनी में हुई महफ़िल,,,,।

जिसका जो मुस्तहिक़ नही उसको उसका मुस्तहिक़ बनाना भी गलत,,,।

पिरोमुर्शद को हजूर किबला से नवाजना सही या गलत,,,?

रुड़की।
अनवर राणा
पिरो मुरशद के लिये इश्क में मुरीद बड़े बजुर्ग या किस किस नाम से पुकारते,परन्तु पीर को हजूर किबला लिख बड़े बड़े बोर्ड लगाकर कोम को भटकाया जाना कहाँ तक उचित है ,यह तो अगर देखना है तो कलियर में पहुँच कर दीनी इल्म की कमी के कारण दीन के खिलाफ अनेक मामले देखे जा सकते है,जानकर लोगो का कहना है कि जिनका कोई जिक्र धार्मिक गर्न्थो में भी कही बयान नही है।ऐसा ही एक मामला मंगलवार की रात्रि के समय खानकाहे बरेली के बड़े बुजुर्ग सज्जादा नशीं हजरत शाह सकलेन मियां के स्वागत में लगे बड़े बड़े होर्डिंग से उजागर हुआ है।हजरत स्क्लेम मिया हर साल गरीब लोगो की बेटियों की शादी व रोजाना खानकाह में गरीबो को लंगर तकसीम करते है ओर जनहित के अनेक कार्यो को अंजाम देते है,इसलिये लोग उनसे प्रभावित होकर उनको अपना पीर बनाते है।लेकिन कुछ लोग अपनी दुकान चमकाने के लिये किसी पिरोमुर्शद को खुश करने के लिये हजूर किबला आदि अल्फाजो का गलत सलत इस्तेमाल कर कोम को भटकाने का कार्य अंजाम देने से भी पीछे नही हट रहे है । जबकि धर्मग्रन्थो की जानकारी रखने वाले लोगो का मानना है कि हजूर किबला सिर्फ ओर सिर्फ अल्लाह के नबी ताजदारे मदीना मोहम्मद सल्लअल्लाह हु आलेही वसल्लम के लिये ही इस्तेमाल किया जा सकता,इसलिये जिसका कोई मुस्तहिक़ नही उसको उसका मुस्तहिक़ बनाना भी गलत है।लेकिन फिर भी कलियर स्थित एक गेस्ट हाउस में व उसके बाहर इस तरह के बोर्ड लगाकर दुकान चमकाने का प्रयास किया गया क्या यह उचित है ,इसका जवाब तो स्वयम हजरत शाह सकलेन मियां या फिर धर्मग्रथ का जानकर ही दे सकता है।लेकिन कलियर में अनेक मामलात इस तरह के किये जा रहे है जिनसे कोम को भटका कर अपना उल्लू साधने में कथित सूफी लगे हुवे हैं।

उत्तराखंड