*दरगाह का मामला :*
*निजी लाभ प्राप्त करने के लिये सोची समझी साजिश के तहत ठेकेदारों ने किया हाइकोर्ट नैनीताल को गुमराह,,,,।*
रुड़की।
दरगाह ठेकेदारों ने एक सोची समझी साजिश के तहत दरगाह प्रशासक,जिला अधिकारी हरिद्वार को केश में पार्टी न बनाकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की,वक्फ सीईओ,दरगाह प्रबंधक को सचीस के तहत पक्ष बनाया गया लेकिन अपनी चालबाजी में ये ठेकेदार कामयाब नही हो पाए हैं। जबकि दरगाह प्रशासक जिला अधिकारी हरिद्वार को पक्ष नही बनाये जाने से ठेकेदारों की सांठगांठ व साजिस की पूरी संभावना नजर आ रही है।ठेकेदारों ने साजिस के कारण ही निजी हित के लिये माननीय हाइकोर्ट को गुमराह किया है। क्योंकि 87/2011 जनहित याचिका अनवर जमाल काजमी बनाम राज्य आदि में सन 2017 में हुवे फाइनल आदेश में दरगाह प्रशासक जिला अधिकारी को ही बनाया गया है। माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह करते हुवे ठेकेदारों ने कोरोना काल के 139 दिन का लाभ लेने के बावजूद अब रिट दाखिल कर 31 मार्च 2020 को जमा करने वाली 30% बकाया राशि को माफ कराने के लिये दाखिल की है।जिसमे 03/02/2021 को माननीय न्यायालय ने मामले को सीईओ वक्फ को एक सप्ताह में निर्णीत करने के आदेश दिए है।लेकिन अब देखा देखी अन्य ठेकेदार भी न्यायालय में पहुंच गये है जिसमे आज मोहसिन व असलम की रिट में 11/02/2021को सुनवाई हुई है। दरगाह के मामले में निर्णय लेने व माफ करने का अधिकार भी जिला अधिकारी हरिद्वार को ही माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के तहत प्राप्त है।इससे पूर्व भी 2013 में आपदा के नाम पर ठेकेदारों की दरगाह बकायादारी को जिला अधिकारी हरिद्वार की संस्तुति पर शासन से माफ किया गया था।दरगाह प्रशासक/जिला अधिकारी के अलावा दरगाह से सम्बंधित धनराशि का माफ करने का अधिकार नही तो ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को ही प्राप्त है ओर न ही सीईओ वक्फ बोर्ड को प्राप्त है क्योंकि दरगाह प्रशासक जिला अधिकारी है ।इसलिये दरगाह को दोहरा नुकसान देने के लिये साजिशन ठेकेदारों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट,वक्फ सीईओ व दरगाह प्रबंधक को ही माननीय उच्च न्यायालय में पक्षकार बनाया गया है।