पूर्व मेयर यशपाल राणा बोर्ड के 2015 निर्णय से नगर निगम से 23 दुकानदारों का तत्कालीन चेयरमैन प्रदीप बत्रा बोर्ड के अलॉटमेंट को ठहराया गया था गलत ,,,,।

पूर्व मेयर यशपाल राणा बोर्ड के 2015 निर्णय से नगर निगम से 23 दुकानदारों का तत्कालीन चेयरमैन प्रदीप बत्रा बोर्ड के अलॉटमेंट को ठहराया गया था गलत ,,,,।

पूर्व मेयर यशपाल राणा बोर्ड के 2015 निर्णय से नगर निगम से 23 दुकानदारों का तत्कालीन चेयरमैन प्रदीप बत्रा बोर्ड के अलॉटमेंट को ठहराया गया था गलत ,,,,।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए 2020 तक दुकानें खाली करने के आदेश दिये थे,

अब फिर दोबारा हाइकोर्ट के आदेश पर प्रशासन पहुंचा दुकानों को खाली कराने,,,,,सभी दुकानों को किया सील,,,,। जाने क्या है पूरा मामला,,,

रुड़की।
अनवर राणा
हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम की टीम ने रामनगर में 23 दुकानों को सील कर दिया। इन दुकानों को बिना विज्ञप्ति जारी किए अलॉट करने का आरोप था।
2011 में तत्कालीन नगर पालिका बोर्ड द्वारा रामनगर में 23 दुकानों का एलाटमेंट कुछ लोगों को किया गया था उस समय वर्तमान विधायक प्रदीप बत्रा नगर पालिका अध्यक्ष थे। वहीं 2015 में जब निगम के नए बोर्ड का गठन हुआ तो तत्कालीन मेयर यशपाल राणा ने इस एलाटमेंट को गलत बताया था और दुकानदारों को नोटिस जारी किए गए और इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने जिलाधिकारी को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। बाद में इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई। जिसे खंडपीठ ने खारिज करते हुए सचिव शहरी विकास को दुकानों को खाली करने के मामले में अंतिम निर्णय लेने व दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट के आदेश पर सचिव शहरी विकास विभाग द्वारा दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया गया। साथ में यह भी कहा कि आवंटन गलत तरीके से किया गया था। खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई तो सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए 2020 तक दुकानें खाली करने के आदेश दिए लेकिन अब तक दुकानों को खाली नहीं कराया गया है। अब एक बार फिर से हाईकोर्ट ने दुकानों को खाली करने के निर्देश दिए। कोर्ट के आदेश के बाद निगम की टीम एसएनए के नेतृत्व में पहुंची टीम ने दुकानों को सील कर दिया।
रसीद कटी 75 की नकद दिए साढ़े तीन लाख….
निगम में प्रति दुकान के 75 हजार रुपए की रसीद काटी गई थी जबकि इसके अलावा दुकानदारों के अनुसार उन्होंने प्रति दुकान के लिए साढ़े तीन लाख रुपए दिए थे और दुकानों का निर्माण भी स्वयं किया था। पीड़ित दुकानदारों ने इस मामले में विधायक प्रदीप बत्रा के आवास के बाहर धरना भी दिया था।

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