निवर्तमान नायब सज्जादानशीन शाह मंजर एजाज़ कुद्दुसी साबरी का सालाना सात वां उर्स कलियर में मनाया,दूर दराज से पहुंचे अक़ीददत मन्द,,,
पिरान कलियर:
अनवर राणा
तसव्वुफ़, सूफीइज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक कलियरी में अपनी बिगड़ी को बनाने वाले सैकड़ो, हजारो, लाखो नही बल्कि करोड़ो अकीदतमंदो की आस्था देखते ही बनती है। साबिर पाक और उनसे मुहब्बत करने वालों के इश्क में अकीदतमंद ऐसे झूमते है जैसे मानों कोई कामयाबी हासिल कर ली हो, जी हां साबिर पाक की इस नगरी को पिरान-ए-कलियर के नाम से जाना जाता है, “कलियर” को पिरान-ए-कलियर का लक़ब इसलिए हासिल हुआ कि यहां चारों ओर (पिरो) सूफियों के मज़ारात है, यही वजह है कि आए दिन पिरान कलियर में सूफ़ियों के उर्स-ए-मुबारक का सिलसिला जारी रहता है। हाल ही में दरगाह साबिर पाक के खिदमतगार निवर्तमान नायब सज्जादानशीन शाह मंजर एजाज़ कुद्दुसी साबरी का सालाना सात वां उर्स मनाया जा रहा है। उर्स से दूर-दराज से अकीदतमंद पिरान कलियर पहुँचे है और दरबार-ए-साबरी में खिराजे अक़ीदत पेश कर शिम्मी मियां के उर्स में शिरकत कर रहे है। उर्स में चादरपोशी, खतमशरीफ़, लंगर और महफ़िल-ए-शमा का आयोजन हुआ, देर रात दुआएं खैर के साथ उर्स विधिवत रूप से संपन्न हो जाएगा।
गौरतलब है कि दरगाह साबिर पाक के पूर्व नायब सज्जादानशीन शाह मंजर एजाज साबरी उर्फ शिम्मी मियां का वर्ष 2015 में पाकिस्तान के पाक पट्टन शहर स्थित हजरत बाबा फरीद गंजे शक्कर रह. के उर्स में इंतेक़ाल (देहांत) हो गया था, जिसके बाद उन्हें पिरान कलियर लाया गया और दरगाह अब्दल साहब परिसर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शिम्मी मियां से मुहब्बत रखने वाले लोग तभी से उनका सालाना उर्स मनाते है। साबिर पाक के सज्जादानशीन की सरपरस्ती में उर्स की रसुमात को अंजाम दिया जाता है। आज रविवार को शाह मंजर एजाज साबरी उर्फ शिम्मी मियां के 7 वे सालाना उर्स का मुख्य दिन है जिसमे शिम्मी मियां के बड़े साहबजादे व दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ साबरी की सरपरस्ती में तमाम रसुमात को अंजाम दिया गया। उनके कदीमी घर से चादर पहले दरबार-ए-साबिर में पहुँची, जहा साबिर पाक में खिराज-ए- अक़ीदत पेश हुई, इसके साथ ही दरगाह परिसर में सज्जादानशीन शाह मंसूर मियां के मजार पर भी चादर पेश की गई। बाद उसके जुलूस के रूप में शिम्मी मियां की दरगाह पर चादर पेश की गई और अक़ीदत के फूल चढ़ाए गए। इस दौरान साहबजादा/सज्जादानशीन अली शाह मियां ने मुल्क में अमनो सलामती की दुआं कराई। कुल शरीफ, लंगर, और महफ़िल-ए-शमा का आयोजन हुआ। शिम्मी मियां के उर्स में दूर दराज से अकीदतमंद तशरीफ़ आए और उर्स में शामिल हुए। इस मौके पर साहबजादा शाह यावर मियां, गंगोहशरीफ से गुड्डू मियां, साज़िद इरशाद, प्रतिनिधि सज्जादानशीन शाह सुहैल मियां, राजू फरीदी, बाबू फरीदी, खालिक मियां, मुनव्वर अली साबरी, अज़ीम सिद्दीकी, राजी मियां, गाजी मियां, असद साबरी, नोमी मियां, शाह यासर मियां, शफीक साबरी, शान साबरी, सूफी इसरार साबरी, आदिल हबीब आदि ने खिराज-ए-अक़ीदत पेश की।
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खानकाहों से आई चादर…
हजरत बाबा फरीद गंज शकर रह. के यहां से चादर आई जिसे मजार शरीफ पर पेश किया गया, इसके साथ ही हिन्द के राजा ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती गरीब नवाज के खादिम खुशतर चिश्ती मियां व मुंबई के भिवंडी स्थित खानकाह बज्म-ए-तसल्लिया के सज्जादानशीन सुफियान बाबा ने भी उर्स मुबारक में अक़ीदत की चादर भेजी, वहीं अन्य खानकाहों से भी चादर और फूल दरगाह में पेश किए गए।