स्टाफ की सांठगांठ से 30 की जगह 50 ओर 50 जगह 100 की हो रही वसूली,,,

स्टाफ की सांठगांठ से 30 की जगह 50 ओर 50 जगह 100 की हो रही वसूली,,,

उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के तहत प्रशासक की जिम्मेदारी जिला अधिकारी पर होने के बावजूद पार्किंग ठेकेदार की गुंडागर्दी जारी,,,।

स्टाफ की सांठगांठ से 30 की जगह 50 ओर 50 जगह 100 की हो रही वसूली,,,

पिरान कलियर:
अनवर राणा
वार्षिक ठेकों को छोड़ते हुवे दरगाह प्रबंधतंत्र के द्वारा जो नियम शर्ते बनाये जाते है उनको अमली जामा पहनाने में क्यों असमर्थता जाहिर करता है दरगाह प्रशासन इसका अंदाजा पार्किंग ठेकेदार की गुंडागर्दी से 30 की जगह 50 ओर 50 की जगह 100 रुपये की लगातार वसूली से लगाया जा सकता है।ऐसा भी नही की इस ठेकेदार की पूरी लुत्खशोट से दरगाह प्रबंतन्त्र वाकिफ न हो बल्कि दरगाह प्रबंधक सफीक अहमद के पास पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली करने के पुख्ता प्रमाण होने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जा रही है ओर न ही पार्किंग स्थलों पर रेट लिष्ट चष्पा कराई जा रही है।यह अवैध वसूली का कार्य दरगाह स्टाफ की मिलीभगत से ठेकेदार द्वारा तब किया जा रहा जब दरगाह प्रशासक की जिम्मेदारी जिला हरिद्वार के हाथों में हाइकोर्ट के अंतिम आदेश के तहत चल रही है।
जहां एक तरफ सालाना उर्स/मेले की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए प्रशासन जी जान से जुटा है तो वही कुछ स्वार्थित ठेकेदार अभी से धार लगाकर जायरीनों को हलाल करने से भी नही चूक रहे है। उर्स/मेले से पहले ठेकेदार अवैध उगाही कर जायरीनों की जेबों पर डाका डाल रहे है तो इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये ठेकेदार उर्स/मेले में कितनी चांदी काटेगा, बड़ी बात ये है कि पूरा दरगाह प्रबंधन तंत्र सबकुछ जानते हुए भी बेखबर बनने का ढोंग रच रहा है। जी हां जायरीनों की सहूलियत के लिए दरगाह प्रबंधन ने पार्किंग का ठेका नीलम किया हुआ है। पार्किंग शुल्क भी तय किया गया है। छोटे वाहनों से 30 रुपये और बड़े वाहन जैसे बस ट्रक आदि से 50 रुपये शुल्क तय है। लेकिन ठेकेदार तय शुल्क से अधिक वसूली करने पर आमादा है। बड़े वाहनों से 100 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है, ठेकेदार का दुस्साहस देखिए कि बाकायदा 100 रुपये शुल्क वाली पर्ची भी दी जा रही हैं, इससे भी बड़ी बात ये है कि जहा प्रशासन 753 वे उर्स/मेले की तैयारी कर रहा है तो वही ठेकेदार 748 वा उर्स पर्ची पर अंकित किए हुए है। बहरहाल जायरीनों की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है और पूरे प्रबंधन तंत्र को ठेंगा दिखाया जा रहा है। उधर कार्यालय के जिम्मेदार ठेकेदार की इस कारगुजारी से अंजान बननेका ढोंग दिखा रहे है। ऐसे में ठेकेदार और स्थानीय अधिकारियों की सांठगांठ के चर्चे की आम हो रहे है। चूंकि ये अवैध वसूली का मामला पहला नही है, इससे पूर्व भी ठेकेदार तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अवैध वसूली को अंजाम दे चुका है, जो अधिकारियों के संज्ञान में भी है। इसके साथ ही ठेकेदार ने अभी तक पार्किंग स्थल पर रेट लिस्ट नही लगाई, जबकि दरगाह प्रबंधक द्वारा रेट लिस्ट लगाने के संबंध में ठेकेदार को नोटिस भी दिया जा चुका है। लेकिन ठेकेदार ने न तो रेट लिस्ट लगाई और ना ही अवैध वसूली बंद की। देखने वाली बात ये है कि जायरीनों की सहूलियत और उर्स/मेले की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का दावा करने वाले अधिकारी ऐसे ठेकेदार पर कब तक शिकंजा कसते है।

उत्तराखंड