एसटीएफ द्वारा की जा रही चिकित्सक फर्जी डिग्री की जांच धार्मिक स्थल कलियर तक पहुंची तो, हो सकता है एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा,,,

एसटीएफ द्वारा की जा रही चिकित्सक फर्जी डिग्री की जांच धार्मिक स्थल कलियर तक पहुंची तो, हो सकता है एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा,,,

एसटीएफ द्वारा की जा रही चिकित्सक फर्जी डिग्री की जांच धार्मिक स्थल कलियर तक पहुंची तो, हो सकता है एक बड़े सिंडिकेट का खुलासा,,,

एसटीएफ उत्तराखण्ड ने फर्जी चिकसक डिग्री के सम्बंध में खुलासा कर तीन को भेजा कल ही जेल,,,

उत्तराखण्ड।
अनवर राणा।

उत्तराखण्ड एसटीएफ को कल जहां फर्जी डिग्रीधारी चिकित्सको के मामले में बड़ी सफलता मिली हैं वही इतने बड़े पैमाने पर डॉक्टरी की फर्जी डिग्री लेकर जन मानस के स्वस्थ्य के साथ उत्तराखण्ड में की जा रही खिलवाड़ की जांच अगर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर तक पहुंचती है तो एसटीएफ की जांच में बड़े खुलासे होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है।क्योंकि यहां पर सेकड़ो की तादाद में फर्जी मेडिकल स्टोर पर जन मानस को दवाई देने व दवाई बेचने का कार्य बड़ी ही चतुराई से किया जा रहा है।पिछले दिनों अनट्रेंड व फर्जी डिग्रीधारियों की जांच हेतु सी ओ पुलिस रुड़की व थाना अध्यक्ष जहाँगीर अली ने मेडिकल स्टोर के स्वामियों की जांच के लिये अभियान चलाया तो बड़े पैमाने पर फर्जी मेडिकल स्टोर स्वामी अपने प्रतिष्ठान बंद कर भाग खड़े हुवे थे ।उसी से जाहिर होता है कि यहां पर कुकुरमुत्तों की तरह खुले ज्यादातर मेडिकल स्टोर स्वामियों पर बी फार्मा व डी फार्मा की डिग्री पहली बात तो है ही नहीं है अगर हैं भी तो वो डिग्री भी फर्जी होने की पूरी तरह आशंका जताई जा रही है।यहां के मेडिकल स्टोर स्वामियों को पूर्व में भी नशीली दवाई बेचने के आरोप में पंजाब व अन्य प्रदेश की पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।इसलिये विश्व प्रशिद्ध धार्मिक स्थल पर आने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जाना आम बात हो रही है।एसटीएफ पुलिस अगर इन फर्जी डिग्रीधारियों की जांच कलियर में करती है तो एक बड़ा सिंडिकेट पकड़ में आने की पूरी उम्मीद हो रही हैं।उत्तराखंड एसटीएफ ने कल फर्जी डिग्री बांटकर फर्जी डॉक्टर बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। टीम ने गिरोह के सरगना समेत तीन आरोपियों को धरदबोचा है, जिनके कब्जे से ब्लैंक डिग्री, जारी की हुई फर्जी डिग्री, अलग-अलग यूनिवर्सिटी की लेटर पेड़, मुहर, प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज बरामद हुए थे। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि करीब 36 लोगो को फर्जी डिग्री बांटी गई है, गिरोह का एक सरगना मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी तलाश जारी है।
उत्तराखण्ड एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुश अग्रवाल ने बताया कि बीते एक माह से एसटीएफ की टीम उत्तराखण्ड में प्रैक्टिस कर रहे बीएएमएस की फर्जी डिग्री वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सम्बन्ध में जांच की जा रही थी, शुरुआती जांच में पाया कि उत्तराखण्ड राज्य में कई आयुर्वेदिक चिकित्सक जो कि बी०ए०एम०एस० की फर्जी डिग्री धारण किए हुए है और फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड में चिकित्सा अभ्यास का पंजीकरण कराया गया है। उसी फर्जी पंजीकरण के आधार पर उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानो पर बीए०एम०एस० डाक्टर के रूप में अपने निजी अस्पताल/क्लीनिक चला रहे है, जहाँ पर आम जनता इन्हें डाक्टर समझ रही है व अपनी बीमारी को लेकर इन लोगों से उपचार करवा रहे है, जिससे ये सभी फर्जी चिकित्सक आम जन-मानस के स्वास्थ व जीवन के साथ खिलवाड़ कर अवैध धन अर्जित कर रहे है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि जांच में कई आर्युवेदिक डॉक्टरों का फर्जीवाड़ा पाया गया, ऐसे करीब 36 डॉक्टरों को चिन्हित कर उनके संबंध में संबंधित चिकित्सा बोर्ड से सूचना मांगी गई तो ज्यादातर फर्जी आयुर्वेदिक चिकित्सकों की डिग्री “राजीव गांधी हेल्थ एण्ड साईस यूनिवर्सिटी कर्नाटका” की पायी गयी जो कि पूर्णतया फर्जी बनी हुयी है, जिन्हें बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफ्फरनगर के मालिक इमरान और इम्लाख द्वारा तैयार करायी गयी है।
एसटीएफ देहरादून की टीम ने आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रीतम सिंह व मनीष अली को गिरफ्तार किया था, इनकी बीएएमएस की मूल डिग्री फर्जी पाई गई, दोनों की मूल डिग्री को बरामद कर लिया गया है, जांच में दोनों चिकित्सको द्वारा फर्जी डिग्री के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन करके प्रेमनगर और रायपुर में अपने अपने क्लिनिक खोल कर चिकित्सा अभ्यास कर रहे हैं। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया गया कि उनको जो बीएएमएस की फर्जी डिग्री दी है, वह उन्होंने करीब 280,0000 में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफ्फरनगर के मालिक इम्लाख व इमरान निवासी मुजफ्फरनगर से प्राप्त की है। इम्लाख के बारे में जानकारी की गयी तो वह कोतवाली मुजफफरनगर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर है। जिसमे अपने भाई इमरान के साथ बरला थाना क्षेत्र मुजफ्फनगर में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के नाम से मेडिकल डिग्री कॉलेज भी खोला हुआ है जो कि बीफार्मा, बीए, बीएससी, आदि के कोर्स संचालित करता है।
एसटीएफ की दूसरी टीम द्वारा बाबा मेडिकल कॉलेज मुजफ्फरनगर में दबिश देकर इमरान पुत्र इलियास निवासी शेरपुर मुजफ्फरनगर को कॉलेज से ही गिरफ्तार कर लिया। जिसके कब्जे से एसटीएफ को कई राज्यों की यूनिर्वसिटियों की फर्जी ब्लैंक डिग्रियां, फर्जी मुद्राएं एवं फर्जी पेपर व कई अन्य कूट रचित दस्तावेज बरामद हुए हैं। इमरान ने पूछताछ के दौरान उत्तराखंड व कई अन्य राज्यों में सैकड़ों डॉक्टरों को इस तरह की फर्जी डिग्री लाखों रुपए लेकर देने की बात बताई है। एसटीएफ टीम के दबिश की सूचना मिलते ही इमरान का भाई इम्लाख फरार हो गया। भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड द्वारा फर्जी डिग्री के आधार पर उत्तराखण्ड में पंजीकृत करने व एसटीएफ द्वारा जांच में पत्राचार करने के उपरान्त भी सहयोग नहीं किये जाने पर परिषद के अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता के संबंध में भी जांच की जा रही है।
एसटीएफ की जांच में पाए गए करीब 36 फर्जी आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ साथ इस गिरोह के संचालक इमराम और इम्लाख के विरुद्ध उपनिरीक्षक दिलबर सिंह नेगी की तहरीर के आधार पर नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा अपराध संख्या 19/23 धारा 420 467468 471 120 बी IPC के तहत दर्ज किया गया है।

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