कार्यालय स्टाफ के द्वारा समय से रेकॉर्ड पूरा न करने से प्रबंधक को आ रही दिक्कत,,,
पिछले महीनों के कैशबुक,लेजर आदि रिकॉर्ड को दरुस्त करने में लगा स्टाफ,,,
कलियर।
पिरान कलियर दरगाह कार्यालय लेखाकार व स्टाफ ने अपनी निजी जागीर समझकर दरगाह की आय को बंदरबांट तो किया ही हैं वहीं दरगाह कार्यालय को दान में प्राप्त चल अचल सम्पति का ब्यौरा भी प्रबंधक को उपलब्ध नहीं कराया गया है।जिसका संज्ञान उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड सीईओ मुख्तार मोहसीन तथा जिला अधिकारी हरिद्वार को लेने के लिये प्रबंधक रजिया खान के द्वारा पत्र लिखना पड़ा था।सीईओ वक्फ की कड़ी फटकार के बाद निवर्तमान प्रबंधक व लेखाकार के द्वारा लेजर ,कैशबुक व अन्य रेकॉर्ड बनाने की जहमत उठानी पड़ी।गौरतलब यह है कि विकास खण्ड रुड़की के अकाउंटेंट सफीक अहमद को सर्विस में रहते दरगाह लेखाकार का अतिरिक्त पद दिया गया था।लेकिन लगभग दो वर्ष पूर्व रिटायरमेंट के बाद भी सफीक के मुंह ऐसी मलाई लगी कि उसने येनकेन प्रकारेण की नीति पर पेंशन लेते हुवे दान के पैसे से 30,000 रुपये प्रतिमाह की दर से तनख्वाह तय कराने में महारथ हासिल की ओर दरगाह कार्यालय के वित्त की जिम्मेदारी को निभाते हुवे यहां पर मौजूद स्टॉक रजिस्टर तथा लेजर व कैशबुक जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी पूरे नहीं किये।बल्कि कैशबुक भी कई कई महीनों की एक बार पूरा कर दान के पैसे की बंदरबांट की गई है।अब तक कि कैशबुक व लेजर प्रबंधक के मांगने पर पूरा नहीं होने का रोना रोया गया जिसकी लिखित चिठ्ठी प्रबंधक द्वारा उच्च अधिकारियों को दी गयी ओर आज समय सीमा बीतने पर भी लेखाकार ने कोई रेकॉर्ड प्रबंधक को नही उपलब्ध कराया गया है।जानकारों का कहना है कि दरगाह की कैशबुक रोजाना पूरा नही करने से गबन की श्रेणी में आता है।जानकारों का कहना यह है कि अगर उच्च अधिकारियों द्वारा लेजर व कैशबुक बैंक खातों से मिलान करा ने जांच की गई तो जांच में लेखाकार द्वारा किया गया गबन प्रकाश में जरूर आयेगा।अब देखने वाली बात यह है कि उच्च अधिकारी लेखाकार की कारगुजारियों की जांच कराते है या नही यह भविष्य की बात है।

