पंचायत , लोकसभा व निकाय चुनाव में भी बसपा प्रभारियों पर पैसा लेकर टिकट बेचनें के आरोप,,,

पंचायत , लोकसभा व निकाय चुनाव में भी बसपा प्रभारियों पर पैसा लेकर टिकट बेचनें के आरोप,,,

 

पंचायत , लोकसभा व निकाय चुनाव में भी बसपा प्रभारियों पर पैसा लेकर टिकट बेचनें के आरोप,,,

सवर्ण व धनाढ्य लोगों को टिकट देकर दलित ,मुस्लिम व अति पिछड़े समाज के साथ वोट की ठग्गी,,,

रुड़की।

उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य पर दलित ,मुस्लिम ,अति पिछड़ों को जोड़कर चार बार मुख्यमंत्री बनने वाली बहुजन समाज पार्टी का लगातार ग्राफ गिरने का कारण जानकार बताते है कि जबसे बसपा प्रभारियों द्वारा किसी भी चुनाव में जेब गर्म करने वाले धनाढ्य लोगों को खोजकर टिकट देने की प्रथा चली है तभी से पार्टी की लोकपिर्यता में कमी ओर दलित ,मुस्लिम,पिछड़े व अति अपिछडे समाज ने बसपा से मुंह फेरने का काम किया है।पिछले पंचायत चुनाव में प्रभारियों द्वारा पैसे लेकर या ये कहें कि खुली बोली लगाकर उत्तराखण्ड में टिकट वितरण को लेकर जिला पंचायत में जो खुला खेल चला ओर स्थानीय बसपा के नेताओ ने प्रेसवार्ता कर इनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए यह भी जगजाहिर है।अब स्थानीय निकाय चुनाव उत्तरप्रदेश में भी टिकट वितरण को लेकर बसपा के प्रभारियों पर सवाल उठ रहे है।सवाल ही नही सहारनपुर के कस्बा नकुड़ के बसपा से प्रबल दावेदार व कद्दावर नेता को सिर्फ इस बात पर टिकट नही दिया गया क्योंकि उसने प्रभारियों द्वारा की गई डिमांड को पूरा करने से बिल्कुल मना कर दिया था।इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा कर खालिद खान ने निर्दलीय प्रतियासी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला जनता की मांग पर किया ओर अब वो चुनाव मैदान में दलबल के साथ उतर चुका है।उनका कहना तो यह है कि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर बसपा सुप्रीमो से मिलकर इन बसपा प्रभारियों की पैसे के बल पर टिकट बेचने की पूरी प्रकिर्या को रखा जायेगा।जनता का कहना तो यहां तक है कि जो बसपा **तिलक तराजू ओर तलवार** के नारे से वजूद में आई थी उस बहुजन समाज पार्टी को स्वर्ण लोगों की भरमार ने कमजोर करने का काम किया है।क्योंकि स्थानीय पिछड़े व अतिपिछड़े कद्दावर नेताओ को दरकिनार कर बाहर से सवर्ण लोगों को लाकर लोकसभा चुनाव व अन्य चुनाव लड़ाने की नीति से दलित,मुस्लिम,अति पिछड़े व तमाम पसमांदा समाज मे बसपा के प्रति नाराजगी उतपन हो रही है ओर बसपा प्रभारी थैला लेकर मौज करने में लगे हुवे है।अब पश्चिम यूपी ओर उत्तराखण्ड में आने वाला वक्त ही तय करेगा कि पसमांदा समाज को नजर अंदाज कर बसपा पार्टी मजबूत होगी या नहीं,,,।

उत्तराखंड