निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की Yश्रेणी सुरक्षा हाइकोर्ट नैनीताल में दी गयी चुनौती,,,
19 से ज़्यादा आपराधिक मामलों के चलते , ऐसे व्यक्ति को सरकार भला कैसे प्रदान कर रही इतनी बड़ी सुरक्षा,,,
रुड़की।
अनवर राणा।
विवादित पत्रकार और खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार वो नाम है जो हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। हाल ही में उमेश कुमार को मिली सुरक्षा को चुनौती देते हुए नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई जिसमें विधायक को मिली सुरक्षा पर सवाल उठाए गए हैं। हरिद्वार से याचिका करने वाले भगत सिंह ने हाई कोर्ट के सामने दाख़िल याचिका में कहा कि उमेश कुमार जैसे आपराधिक इतिहास व प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदेश सरकार द्वारा आख़िर क्यों दी गई है? आमतौर पर विधायकों को एक सुरक्षा कर्मी मिलता है
इसके अलावा अगर कोई अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी किसी व्यक्ति विशेष को उपलब्ध होता है तो वह निर्भर करता है संबंधित व्यक्ति के ऊपर किस लेवल की थ्रेट या फिर ख़तरा है जो सुनिश्चित करना पुलिस विभाग व एल.आई.यू यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट का काम है। LIU की रिपोर्ट के बाद पुलिस द्वारा शासन को रिपोर्ट सौंपी जाती है और उसके बाद ही व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है। लेकिन उमेश कुमार के मामले में याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए RTI से प्राप्त दस्तावेजों को कोर्ट को उपलब्ध कराकर यह बताया गया कि इस मामले में सभी मापदंड और प्रक्रिया ताक पर रखकर उमेश कुमार को सुरक्षा मुहैया कराई गई।
उमेश कुमार के ऊपर किसी प्रकार का कोई ख़तरा एल.आई.यू द्वारा नहीं बताया गया है।यहाँ तक कि अतिरिक्त सुरक्षा के लिए उमेश कुमार द्वारा दिए गए चिट्ठी पर जाँच करने के बाद पुलिस द्वारा शासन को यह स्पष्ट रूप से रिपोर्ट सौंप दी गई कि उमेश कुमार को किसी प्रकार का कोई भी जान माल का भय नहीं है। बावजूद इसके उमेश कुमार को वाय केटेगरी की सुरक्षा और साथ में पुलिस एस्कॉर्ट की सुविधा भी प्रदान की गई है और इसके साथ ही उसकी पत्नी सोनिया शर्मा को भी दो पुलिसकर्मी (असला समेत ) प्रदान किए गए हैं। याचिकाकर्ता के वक़ील ने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की दलील देते हुए बताया कि जिस व्यक्ति के ऊपर 19 से भी ज़्यादा आपराधिक मामले चल रहे हों जिनमें बलात्कार जैसा जगन्या अपराध शामिल हो ऐसे व्यक्ति को भला सरकार इतनी बड़ी सुरक्षा कैसे प्रदान कर सकती है,,,?