सिकरौड़ा के जंगल मे बने एक मजार को वनविभाग की टीम हटाने पहुँची थी,टीम ग्रामीणों के विरोध पर लौटी बैरंग,,,

सिकरौड़ा के जंगल मे बने एक मजार को वनविभाग की टीम हटाने पहुँची थी,टीम ग्रामीणों के विरोध पर लौटी बैरंग,,,

सिकरौड़ा के जंगल मे बने एक मजार को वनविभाग की टीम हटाने पहुँची थी,टीम ग्रामीणों के विरोध पर लौटी बैरंग,,,

आस्थावान लोगों का कहना है कि सरकार प्राचीन मजार जो अतिक्रमण की जद से बाहर है और सरकारी भूमि पर नही है, उनका करे संरक्षण,,,,

रुड़की:

अनवर राणा।

प्रदेश में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए धर्मस्थलों को हटाने की कार्रवाई चल रही है। कुछ मजारों को विरोध के बावजूद हटाया गया है, जिसको लेकर लोगों में रोष बना हुआ है। इसी कार्रवाई के बीच भगवानपुर विधानसभा के गाँव सिकरौड़ा के जंगल मे बने एक मजार को वनविभाग की टीम ब्रस्पतिवार को हटाने पहुँची थी, मजार का कुछ हिस्सा हटाया भी जा चुका था लेकिन ग्रामीणों के विरोध पर टीम को बीच मे काम रोकर वापस लौटना पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी आदेश के टीम मजार को हटा रही थी, जब उनसे मजार हटाने के संबंध में आदेश या अन्य कागजात दिखाने को कहा तो वह दिखा नही पाए। ग्रामीणों का कहना है कि ये मजार कई सौ साल पुराना है, साथ ही ग्रामीणों ने बताया ये मजार सरकारी भूमि पर नही है, जिसका नक्शा भी उनके पास मौजूद है। ग्रमीणों ने ब्रिटिश काल का एक नक्शा भी दिखाया है जिसमे मजार दर्शाए होने का दावा किया गया है।

जानकारी के अनुसार भगवानपुर विधानसभा के गाँव सिकरौड़ा के दूर जंगल मे स्थित हजरत हबिबुल्ला शाह के मजार को ब्रस्पतिवार के दिन वनविभाग की टीम हटाने पहुँची थी, टीम ने मजार को हटाने का काम शुरू किया तो ग्रामीणों ने विरोध किया, जिसपर टीम को बीच में ही वापस लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने बताया ये मजार उनके पूर्वजों के समय मे भी मौजूद था, जो कई सौ साल पुराना है। ग्रामीणों ने बताया हजरत हबिबुल्ला शाह का मजार प्राचीन समय का है, और ये सरकारी भूमि पर नही बना है, जिसका नक्शा भी उनके पास मौजूद है। ग्रमीण राव नदीम, राव फुरकान अली, मुन्ने खां, भूरे खां, राव मुद्दसिर, राव फारुख, राव आफाक ने बताया कि इस मजार में सभी धर्मों के लोगो की आस्था है, यहां किसी तरह का व्यवसाय नही होता, दूर जंगल मे बना ये मजार कई सौ साल पुराना है, जिसमे सुर्ख चूने की चिनाई ये साबित करती है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार प्राचीन मजार जो अतिक्रमण की जद से बाहर है और सरकारी भूमि पर नही है, उसका संरक्षण करें।

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जंगल मे आग लगने पर नही पहुँचती टीम…..

ग्रमीणों का आरोप है कि जब जंगल मे आग लगती है तो वनविभाग की टीम नही पहुँचती, जिससे काश्तकारों की फसल को भी नुकसान होता है। ग्रामीणों का कहना है कि जितनी ततपरता मजार हटाने के लिए टीम ने दिखाई अगर उतनी ही ततपरता अगर आग बुझाने में दिखाए तो जंगल को फायदा होगा साथ ही जंगली जानवरों को भी राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने बताया वनविभाग के पास जंगल मे आग बुझाने के लिए बाकायदा टीम है लेकिन सबके सब कुम्भकर्णी नींद सोए हुए है।रुड़की: प्रदेश में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए धर्मस्थलों को हटाने की कार्रवाई चल रही है। कुछ मजारों को विरोध के बावजूद हटाया गया है, जिसको लेकर लोगों में रोष बना हुआ है। इसी कार्रवाई के बीच भगवानपुर विधानसभा के गाँव सिकरौड़ा के जंगल मे बने एक मजार को वनविभाग की टीम ब्रस्पतिवार को हटाने पहुँची थी, मजार का कुछ हिस्सा हटाया भी जा चुका था लेकिन ग्रामीणों के विरोध पर टीम को बीच मे काम रोकर वापस लौटना पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी आदेश के टीम मजार को हटा रही थी, जब उनसे मजार हटाने के संबंध में आदेश या अन्य कागजात दिखाने को कहा तो वह दिखा नही पाए। ग्रामीणों का कहना है कि ये मजार कई सौ साल पुराना है, साथ ही ग्रामीणों ने बताया ये मजार सरकारी भूमि पर नही है, जिसका नक्शा भी उनके पास मौजूद है। ग्रमीणों ने ब्रिटिश काल का एक नक्शा भी दिखाया है जिसमे मजार दर्शाए होने का दावा किया गया है।
जानकारी के अनुसार भगवानपुर विधानसभा के गाँव सिकरौड़ा के दूर जंगल मे स्थित हजरत हबिबुल्ला शाह के मजार को ब्रस्पतिवार के दिन वनविभाग की टीम हटाने पहुँची थी, टीम ने मजार को हटाने का काम शुरू किया तो ग्रामीणों ने विरोध किया, जिसपर टीम को बीच में ही वापस लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने बताया ये मजार उनके पूर्वजों के समय मे भी मौजूद था, जो कई सौ साल पुराना है। ग्रामीणों ने बताया हजरत हबिबुल्ला शाह का मजार प्राचीन समय का है, और ये सरकारी भूमि पर नही बना है, जिसका नक्शा भी उनके पास मौजूद है। ग्रमीण राव नदीम, राव फुरकान अली, मुन्ने खां, भूरे खां, राव मुद्दसिर, राव फारुख, राव आफाक ने बताया कि इस मजार में सभी धर्मों के लोगो की आस्था है, यहां किसी तरह का व्यवसाय नही होता, दूर जंगल मे बना ये मजार कई सौ साल पुराना है, जिसमे सुर्ख चूने की चिनाई ये साबित करती है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार प्राचीन मजार जो अतिक्रमण की जद से बाहर है और सरकारी भूमि पर नही है, उसका संरक्षण करें।
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जंगल मे आग लगने पर नही पहुँचती टीम…..
ग्रमीणों का आरोप है कि जब जंगल मे आग लगती है तो वनविभाग की टीम नही पहुँचती, जिससे काश्तकारों की फसल को भी नुकसान होता है। ग्रामीणों का कहना है कि जितनी ततपरता मजार हटाने के लिए टीम ने दिखाई अगर उतनी ही ततपरता अगर आग बुझाने में दिखाए तो जंगल को फायदा होगा साथ ही जंगली जानवरों को भी राहत मिलेगी। ग्रामीणों ने बताया वनविभाग के पास जंगल मे आग बुझाने के लिए बाकायदा टीम है लेकिन सबके सब कुम्भकर्णी नींद सोए हुए है।

उत्तराखंड