हाइकोर्ट के आदेश से दरगाह की आय को लगा लगभग 12 लाख का तकडा झटका,,,
जिम्मेदार तत्कालीन प्रबंधक/लेखाकार पर जिला प्रशासन व वक्फ बोर्ड की कोई कार्यवाही न होने से भृष्टाचारियो के हौंसले बुलंद,,,
रुड़की।
अनवर राणा।
पिरान कलियर दरगाह कार्यालय लगभग तीन चार साल से भृष्टाचारियो व वित्तीय अनियमितता करने वाले प्रबंधतंत्र का अड्डा बन कर रह गया है। सम्बन्धित भृष्टाचारियो के खिलाफ कार्यवाही न होने से इनके हौंसलों को एक तरह से माना जाये तो पंख लग गये है ओर उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड ओर जिम्मेदार अधिकारी भी ऐसे लोगों के खिलाफ जांच होने के बावजूद जांच में दोष सिद्ध होने पर भी कोई कार्यवाही अमल में लाने के प्रयास नहीं करते दिखाई दे रहे हैं।ऐसा ही एक मामला प्रबंधतंत्र की बेईमानी का जब प्रकाश में आया जब पिछले वर्ष वार्षिक ठेकों के टेंडर लेने के लिये ठेकेदार द्वारा लगाई गई लाखों की हैसियत की जांच में प्रबंधतंत्र व ठेकेदारों की मिली भगत सामने आई ओर तहसीलदार द्वारा बनाई गई हेसियत ही फर्जी व शून्य पाई गयी जिस कारण प्रशाद की दुकान नम्बर 1 का ठेका एक करोड़ छिययत्तर लाख रुपये का ठेका जे एम रुड़की को निरस्त करना पड़ा।ठेका निरस्त होने के उपरांत सम्बन्धित ठेकेदार नोशद ने माननीय हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया ओर हाइकोर्ट में कहा कि उक्त ठेकों को प्राप्त करने में एक करोड़ छियत्तर लाख का 55% रकम दी गयी थी जो दरगाह प्रबंधन ने ठेका निरस्त करने के बाद नहीं लौटाई जिसकी सुनवाई माननीय उच्च न्यायालय में 11 मई को हुई ओर कोर्ट ने आदेश दिये कि ठेकेदार को उसकी जमा की गई रकम को 9%ब्याज सहित लौटाई जाये।जिससे दरगाह की आय को भारी नुकसान प्रबंधतंत्र की ठेकेदारों से सांठगांठ के चलते उठाना पड़ेगा।यही नहीं ठेका निरस्त करने के उपरांत उक्त दुकान को प्रतिदिन पर चलाने के लिये भी तत्कालीन प्रबंधक/लेखाकार ने उसी ठेकेदार के भतीजे नाजिम से चलवाई जिसकी रकम भी एक करोड़ छियत्तर लाख के हिसाब से दरगाह खाते में जमा नहीं कराई बल्कि उससे पिछले यानी दो साल पूर्व के एक करोड़ बाइस लाख के हिसाब से प्रतिदिन की रकम दरगाह खाते में जमा कराई ओर अपनी जेबें भरने का काम किया गया। पूर्व में कोविड के नाम पर उतना ही ठेकेदारों के समय बढ़ाया ओर बाद में ठेकेदारों से मिलीभगत कर बकाया राशि के लगभग 46 लाख रुपये माफ कर नियमो को ताख पर रखकर दरगाह की आय को बर्बाद किया गया था । दरगाह से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उक्त दुकान को प्रतिदिन एक करोड़ छियत्तर लाख के हिसाब से जितने रकम प्रतिदिन बैठती है उसी हिसाब से जमा कराने के आदेश मुख्यकार्यपालक अधिकारी वक्फ बोर्ड उत्तराखण्ड द्वारा दिये जाने के बावजूद भी तत्कालीन प्रबंधक /लेखाकार ने बहुत कम रकम प्रतिदिन पर दुकान चलवाकर दरगाह की आय को नुकसान जानबूझ कर पहुंचाते हुवे अपनी जेब भरने का ही काम किया है इससे अलग भी चार ठेकों में इसी तरह का गोलमाल किया गया है जिसकी पुख्ता जानकारी दरगाह दफ्तर के अंदर फाइलों में दम तोड़ रही है ओर दरगाह की आय को बर्बाद किया जा रहा है। इस सम्बंध में वर्तमान दरगाह प्रबंधक रजिया बेगम कोई भी जानकारी देने से बचते हुवे सिर्फ इतना कह रही है कि हाइकोर्ट के आदेश का मामला ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के सम्मुख रखा गया है जो भी निर्णय लिया जाना है उन्हीं के स्तर से कानूनी राय के बाद लिया जायेगा। लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन भृष्टाचारियो पर आखिर कब तक रियायत बरतता रहेगा ओर दरगाह को करोड़ो का नुकसान पहुंचाने वाली मित्र मंडली दरगाह कार्यालय में जमकर लूट करती रहेगी।