क्या नूपुर वर्मा उत्तराखण्ड के अन्य जिलों में काम करने के लिये नहीं आयी नोकरी में इसकी चर्चा जोरों पर,,,?
विधान सभा 2022 से पूर्व तबादला भी बाहर होने के बावजूद डटी हैं हरिद्वार में,रुड़की नगर निगम में अपरोक्ष रूप से दे रही दखल,,,
हरिद्वार।
अनवर राणा।
लंबे समय तक नगर निगम रुड़की की आयुक्त रही और अब सिटी मजिस्ट्रेट नूपुर वर्मा का हरिद्वार जिले से इस बार भी तबादला होगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा,किन्तु क्या यह हरिद्वार और देहरादून जिले में ही रहेगी।विधानसभा चुनाव से पहले तबादला हो भी गया था,लेकिन नूपुर वर्मा ने नए तैनाती बाहर जिले में ज्वाइन तक नहीं किया और बीच में छुट्टी लेकर और फिर से हरिद्वार में ही अपना ट्रांसफर करा लिया।अब यह समझ नहीं आ रहा है कि नूपुर वर्मा का क्या अपना निजी स्वार्थ है कि वह हरिद्वार जिला नहीं छोड़ना चाहती।हालांकि इस बारे में कुछ लोगों का कहना है कि नूपुर वर्मा नगर निगम रुड़की में लगातार अपना दखल बनाए हुए हैं,क्योंकि उनके कार्यकाल में यहां पर बहुत सारी गड़बड़ियां हुई है,इसलिए वह नहीं चाहती कि किसी दूर के जिले में उनकी पोस्टिंग हो जाए और रुड़की नगर निगम में उनका दखल बंद हो जाए।रुड़की नगर निगम क्षेत्र के काफी लोगों का कहना है कि हरिद्वार सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात होने के बाद भी यह रुड़की नगर निगम के सलेमपुर क्षेत्र स्थित अपने आवास से ही अप डाउन कर रही हैं,इससे सरकार को बड़ी क्षति हो रही है,क्योंकि अप डाउन में जितना भी तेल खर्च हो रहा है वह जनता का पैसा ही है।यह बात पूरी तरह साफ है कि कोई भी अधिकारी अपनी जेब से तेल खर्च नहीं करता।सरकारी बिल बनते हैं या फिर अपने तरीके से वह इस पैसे को एडजेस्ट कराते हैं।कुछ लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत अपलोड की गई है,जिसमें कहा गया है कि नूपुर वर्मा करीब पिछले पांच सालों से हरिद्वार जिले में जमीं हुई है।शिकायतकर्ताओं ने तो नूपुर वर्मा की नियुक्ति तक पर सवाल खड़े किए हैं।उनका कहना है कि इनका मूल पता हरिद्वार जिले का रुड़की नगर है,हालांकि बाद में उन्होंने अपना मूल पता मुजफ्फरनगर ट्रांसफर कराया है, ताकि वह दूसरे प्रांत और जनपद के पते के आधार पर हरिद्वार जिले में ही अपनी पोस्टिंग बरकरार रख सके।गौरतलब है कि नूपुर वर्मा ने नगर आयुक्त रहते हुए रुड़की नगर निगम को अपने मनमाने ढंग से चलाया है।उनके कार्यकाल के दौरान ऑडिट रिपोर्ट पर भी तमाम सवाल खड़े किए गए हैं,जिनका जवाब अभी तक नगर निगम रुड़की के द्वारा नहीं दिया गया है।यहां तक कि ठेकेदारों के निर्माण कार्यों के भुगतान संबंधी पत्रावली पर भी नूपुर वर्मा के हस्ताक्षर न होने के कारण करोड़ों का भुगतान अभी तक अटका हुआ है।पार्षदों के बीच गुटबंदी कराने तक के आरोप भी नूपुर वर्मा पर है।मेयर गौरव गोयल के खिलाफ भी नूपुर वर्मा के द्वारा ही तमाम फर्जी शिकायत कराई गई है।अभी वह उच्च अधिकारियों से मिलकर गौरव गोयल के खिलाफ उनके द्वारा विभिन्न लोगों से कराई गई शिकायत को सच साबित करने के प्रयास में लगी हैं,हालांकि उन्हें कामयाबी तो नहीं मिल पा रही है,अलबत्ता उनके द्वारा नगर निगम रुड़की में अधिक रूचि लेना वरिष्ठ नेताओं व उच्च अधिकारियों को भी अब अखरने लगा है।