जीरो टोलरेंश की भाजपा सरकार व वक्फ बोर्ड क्यों अवैध वक्फ कब्जाधारकों के सामने हो रही नतमस्तक,,,,?
उत्तराखण्ड में वक्फ माफिया ,अवैध वक्फ कब्जाधारक बेलाम, कब लगेगी वक्फ माफियाओ व अवैध कब्जाधारकों पर लगाम,,,
कलियर।
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड प्रदेश को वजूद में आये 23 वर्ष बीत जाने ओर वक्फ बोर्ड का गठन होने के बावजूद भी अधिकतर वक्फ सम्पत्तियों पर वक्फ माफियाओ का अवैध कब्जा बदस्तूर चला आ रहा है।भाजपा की डबल इंजन सरकार ने देश व प्रदेश में जीरो टोलरेंश की सरकार की नीति अपना कर काम करने व भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन देने पर जोर दिया था,लेकिन प्रदेश में केवल एक संस्था ऐसी है जिसमे मुस्लिमो व अकलियतों की हमदर्दी के लिये इस वक्फ बोर्ड संस्था का गठन इस उद्देश्य से किया जाता है कि प्रदेश भर की वक्फ सम्पत्तियों का सर्वे कराकर उनकी देखभाल उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के माध्यम से की जायेगी। लेकिन उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा करोड़ो में वार्षिक आय देने वाली दरगाह साबीर पाक पिरान कलियर की बात करे तो यहां नीचे से ऊपर तक इतना भ्र्ष्टाचार व्याप्त है कि जिसकी कल्पना करना भी कम होगा। इस दरगाह के नाम आजाद भारत के बाद भी सेकड़ो बीघा अचल सम्पति थी,लेकिन वक्फ बोर्ड में बैठे भृष्ट पदाधिकारियों ,अधिकारियों व कर्मचारियों की भेंट चढ़ी अचल सम्पति अब वक्फ माफियाओ के नाम दर्ज ओर कब्जे में जा चुकी है। रही बात करोड़ो की वार्षिक आय की तो उसमें भी विश्व भर से आने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा दानपत्रों में जो रकम डाली जाती है उसमें भी मौजूद प्रबंधकों की मार्फ़त धन को फर्जी लोग खड़े कर दानपत्रों की जगह जेबो में भरकर बंदरबांट किया जा रहा है। यही नहीं दरगाह परिसर क्षेत्र में बने भूखंडों पर अवैध कब्जाधारकों व कुछ कथित सूफियों का शिद्रियों पर कब्जा बरकरार कराने में भी नीचे ऊपर तक भ्र्ष्टाचार के चलते बर्बाद किया जा रहा है।यहां स्थित दरगाह साबीर पाक ,इमाम साहब,किलकिली साहब दरगाह के अलावा भी दरगाह है जो बाबा जिलानी के नाम से बनी है ओर उसपर भी चढ़ावा व दानपात्र रखकर एक कथित सूफी का कब्जा बरकरार चला आ रहा है,जबकि बाबा जिलानी की दरगाह वर्ष 2015 के बाद उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के रजिस्टर में 4508 नम्बर पर दर्ज है। अब उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड पर इसलिये सवाल उठना लाजमी है कि जब बाबा जिलानी की दरगाह वक्फ बोर्ड में दर्ज है तो उसपर वक्फ माफिया का अवैध कब्जा क्यों नहीं हटाया गया है,,,?हालात यह है कि इस बाबा गुलाम जिलानी ने ताउम्र दरगाह साबीर पाक में खिदमत की ओर उसके एवज में वक्फ बोर्ड अन्य कर्मियों की भांति ही उनको भी हर महीने तनख्वाह देता रहा।उन्होंने अपनी हयात में कुछ अचल सम्पति खरीदी जिसमे आज भी उनकी खानकाह ओर मजार बना हुआ है।उनकी सम्पति को लेकर उनके शिष्यों में विवाद के चलते उनके द्वारा की गयी वशियत में जो शर्ते लिखी थी उसको एक सदस्य के द्वारा फॉलो नही करने से विवाद बना ओर उन्होंने उक्त दरगाह को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हवाले करने को निर्णय लिया जिससे उक्त सम्पति उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड में दर्ज हुई ओर उसकी आमदनी की प्राप्त धनराशि का ब्यौरा उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड को देने लिये बोर्ड का नोटिफिकेशन(गजट)भी तैयार कर हरियाणा वक्फ बोर्ड को भेज दिया गया था।क्योंकि बाबा जिलानी की दरगाह की आय का पैसा यूके के बोर्ड को ब्यौरा देकर पानीपत दरगाह हजरत शमशुदीन तुर्क की दरगाह पर खर्च किया जाना भी उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड़ गजट में तय था। उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड को कुल आय का 7% भी प्राप्त करना था,लेकिन 23 वर्षो पूर्व बने वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों व अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने आज तक इस बाबा गुलाम जलानी की दरगाह को क्यों हैंडओवर नहीं किया इसका जवाब तो वक्फ बोर्ड व अधिकारी ही दे सकते है।लेकिन यहां उत्तराखण्ड भाजपा सरकार की करप्शन पर जीरो टोलरेंश की नीति को पलीता लग रहा है ओर वक्फ की सम्पत्ति व आय को दीमक लगी हुई है यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि रक्षक ही भक्षक बने है इसलिये वक्फ की सम्पत्तियों पर अवैध कब्जाधारक जमे हुवे है।जनता में तरह तरह की अफवाह व चर्चाये व्याप्त हो रही है ओर वक्फ माफियाओ ओर अवैध वक्फ कब्जाधारकों के सामने वक्फ बोर्ड ओर भाजपा सरकार भी नतमस्तक नजर क्यों है,,,?यह बड़ा सवाल व्याप्त है।