उत्तराखण्ड सरकार की नाक के नीचे भ्र्ष्टाचार की हर सीमा पार कर चुका वक्फ बोर्ड कलियर का कार्यालय,,,
लंगर , ठेकों व कर्मियों की नियुक्ति से लेकर तनख्वाह बढ़ाने के नाम पर हो रहा बड़ा गोरखधंधा, उच्च अधिकारी मौन
रुड़की/कलियर
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड सरकार की करप्सन पर जीरो टोलरेंश की नीति को बड़े ही आसानी से पलीता लगाने वाला वक्फ बोर्ड कलियर कार्यालय भ्र्ष्टाचार व वित्तीय अनियमितता को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहता है,जिसकी गूंज शासन से लेकर सरकार व हाइकोर्ट तक जगजाहिर होने के बावजूद यहां पर भ्र्ष्टाचार व वित्तीय अनियमितता को अंजाम देने वाले प्रबंधक,अकाउंटेंट ओर स्टाफ का आज तक कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सका है।क्योंकि इन भृष्टाचारियो के तार सरकार से लेकर वक्फ बोर्ड के उच्च पदाधिकारियों से भी जुड़े होने की चर्चाये जगजाहिर हो चुकी है। यही कारण है कि शासन व हाइकोर्ट की मार्फ़त जिला अधिकारी हरिद्वार द्वारा कराई गयी जांच समिति की रिपोर्ट भी अनेक मामलों में धूल चाट रही है ओर भृष्टाचारी स्टाफ खूब फल फूल रहा है। अब ही हाल की बात करें तो शिक्षा विभाग की महिला अधिकारी को वक्फ बोर्ड अध्यक्ष की सिफारिश व वक्फ बोर्ड के तत्कालीन सीईओ की अनुमति पर जिला अधिकारी द्वारा नियुक्ति मिले सात आठ महीने हो चुके है।लोगों ने भी उम्मीद की थी कि महिला अधिकारी प्रबंधक के पद पर ईमानदारी से काम करेगी,लेकिन यहां कार्यालय में भृष्टाचारियो ने उन्हें भी अपने रंग में रंगकर दोनो हाथों से दरगाह की आय को नुकसान पहुंचाने का काम बदस्तूर शुरू किया हुआ है।उर्स के दौरान छूटने वाले ठेकों में भी बड़े पैमाने पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगाकर ठेकेदारों के द्वारा उपजिला अधिकारी रुड़की को शिकायत कर साउंड सर्विस ठेकेदार सरवर साबरी ने सर्वोत्तम टेंडर होने के बावजूद नीचे के ठेकेदार को साउंड सर्विस के ठेके को देने पर एतराज जताया ओर उसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की है। कुछ प्रतिदिन के हिसाब से ठेके चलाने वाले ठेकेदारों से भी अवैध वसूली के आरोप क्षेत्र में सुनाई दे रहे है। अब सवाल यह उठना लाजमी है कि जब उक्त भृष्टाचारियो की जांच शासन व सरकार के स्तर से जिला अधिकारी द्वारा नियुक्त जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद भी लगभग डेढ़ साल से धूल चाट रही तो इनकी उच्च अधिकारियों से शिकायत के क्या मायने होंगे।जिस दरबार की सेवा करने के लिये क्षेत्रीय व बाहरी जायरीन फीरी करना चाहते हों वहां के कर्मचारियों की फाइल को आखिर प्रबंधक द्वारा सीईओ वक्फ के पहले ही दौरे के दौरान उनके सम्मुख स्वीकृति हेतु क्यों रखी गयी यह भी चर्चा जोरों पर हो रही है।