रिटायरमेंट के बावजूद 30,000 दान के पैसे की पगार पर कार्यालय में तैनात भृष्टाचारी अकाउंटेंट सफीक व उसकी टीम के सामने बेबस यूके वक्फ बोर्ड ,,,
दरगाह कार्यालय में भ्र्ष्टाचार व भृष्टाचारियो पर एक वर्ष के कार्यकाल में नकेल लगाने में नाकाम वक्फ बोर्ड व जिला प्रशासन,,,
रुड़की/कलियर
अनवर राणा।
भाजपा सरकार में उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड का विधिवत गठन लगभग एक वर्ष पूर्व हुआ था ओर बोर्ड की पहली ही मीटिंग में 2022 में उर्स के नाम पर हुई दरगाह आय की बंदरबांट तथा तत्कालीन प्रबंधक/अकाउंटेंट सफीक अहमद ओर उसकी भ्र्ष्टाचार में लिप्त टीम के अन्य तीन कर्मियों के खिलाफ बाकायदा बहुमत से प्रस्ताव पास कर उनको हटाने की संस्तुति कर सीईओ वक्फ की मार्फ़त एक पत्र दरगाह प्रशासक/जिला अधिकारी हरिद्वार को भेजा जाना तय एजेंडा में पास हुआ था।लेकिन बोर्ड गठन के एक वर्ष बीत जाने के बावजूद तीन वक्फ सीईओ वक्फ बोर्ड अध्यक्ष की मांग पर शासन के द्वारा बदल दिये जाने के बावजूद तथा उसके बाद दो मीटिंग हो जाने के बाद भी दरगाह कार्यालय में तैनात अकाउंटेंट व उसकी मंडली के भ्र्ष्टाचार उजागर होने व भृष्टाचारियो पर लगाम लगाने में वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कोई काम नहीं किया है।अब सवाल यह उठता है कि क्या सीईओ वक्फ बोर्ड की अदला बदली से कार्यालय दरगाह पिरान कलियर का भ्र्ष्टाचार खत्म किया जा सकता है,,,? नहीं अगर भ्र्ष्टाचार पर बोलने वाले वक्फ बोर्ड में इच्छा शक्ति भ्र्ष्टाचार खत्म करने नहीं हो तो दुनिया की कोई ताकत यहां के भ्र्ष्टाचार को नहीं रोक पाएगी ऐसी चर्चा भी यहां आस्थावान लोगों में जोर पकड़ने लगी है। क्योंकि यही वो प्रबंधक/अकाउंटेंट सफीक अहमद है जिसकी वजह से सेवादारों को जमीन के दखलनामा पर हस्ताक्षर कर दखल देने का कार्य किया गया है ओर आज दरगाह को उर्स 2023 में दुकानें व झूला सर्कस आदि के लिये जमीन नहीं मिल पा रही है। इस भृष्टाचारी के अनेक भृष्ट कृत्य वक्फ बोर्ड ओर प्रशासन के सामने उजागर हो चुके है ,लेकिन इसके तार जिला प्रशासन के अधिकारियों के कार्यालयों में बैठे कुछ कर्मियों से जुड़े होने के कारण दरगाह के दान के पैसे की बड़ी ईमानदारी से बन्दरबांट की जा रही है।यही नहीं इसके होंसले यह भी दाद देनी पड़ेगी की कुछ पत्रावली तो इसने गायब अपनी मित्रमंदिली के द्वारा कार्यालय से गायब ही कर दी ओर कुछ पत्रावलियों से उच्च अधिकारियों के पूर्व में किये आदेश भी गायब किये जा चुके है।ऐसा क्या कारण है कि रिटायरमेंट के बावजूद दान के पैसे से तनख्वाह प्राप्त करना इसकी मजबूरी क्यों बन गया या वक्फ बोर्ड में ऊंचे पद पर बैठे एक व्यक्ति को भी यहां की मलाई मुंह लगा दी गयी जो वो पदाधिकारी अपना इस सम्बंध में मुंह नहीं खोल पा रहा है जो शुरू में नारा तो दे दिया गलत को छोडूंगा नहीं ओर सही को छेड़ेंगे नहीं।अब उन महाशय के याद भाजपा सरकार की करप्शन पर जीरो टोलरेंश की नीति कब आयेगी यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।