वक्फ की दरगाह को निजी बनाने की कवायद पर षड्यंत्र…?

वक्फ की दरगाह को निजी बनाने की कवायद पर षड्यंत्र…?

वक्फ की दरगाह को निजी बनाने की कवायद पर षड्यंत्र…?

नाम दर्ज कराने को लेकर नगरपंचायत में दिया प्राथना पत्र एवं दस्तावेज, वक्फबोर्ड और जिम्मेदार खामोश..

पिरान कलियर:
वक्फ संपत्तियों के संरक्षण का दावा करने वाले वक्फबोर्ड की कार्यशैली उस समय सवालों के घेरे में आगई जब वक्फ दरगाह को निजी ट्रस्ट के नाम दर्ज कराने के लिए नगरपंचायत में प्राथना पत्र समेत दस्तावेज दिए गए, प्राथना पत्र/दस्तावेजों के आधार पर नगरपंचायत ने भी देरी ना करते हुए आपत्ति सूचना अखबार में प्रकाशित करा डाली। सोशल मीडिया पर वायरल हुई सूचना के बाद लोगों ने वक्फबोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए वक्फ संपत्तियों को खुर्दबुर्द कराने का आरोप लगाया है। दरअसल पिरान कलियर में स्थित दरगाह बाबा जिलानी उत्तराखंड वक्फबोर्ड में दर्ज है। हाल ही में पिरान कलियर नगरपंचायत की ओर से एक सूचना अखबार में निकलवाई गई है। जिसमे लिखा गया है कि “सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि गृहकर खाता संख्या 1140 मौहल्ला पिरान कलियर वार्ड-04 जो नगर पंचायत पिरान कलियर के गृहकर अभिलेखों में जिलानी बाबा खानकाह दरगाह जिलानी बाबा के नाम से दर्ज चला आ रहा है। उक्त खाते में मैराज हसन पुत्र हमीद हसन, अध्यक्ष, अंजुमन गुलामाने चिश्तिया साबरिया वेलफैयर सोसायटी रजिस्टर्ड पानीपत हरियाणा ने उक्त ट्रस्ट के नाम दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र मय दस्तावेजों (पंजीकृत बैनामा, वसीयतनामा, शपथ पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, ट्रस्ट के कागजात) के साथ प्रस्तुत किया है। आपत्ति के लिए 35 दिनों का समय दिया गया है। अब सवाल ये उठता है कि जब दरगाह बाबा जिलानी उत्तराखंड वक्फबोर्ड में दर्ज है तो उसे निजी ट्रस्ट के नाम दर्ज कराने के लिए आखिर किस नियत से नगरपंचायत में आवेदन किया गया है। वक्फबोर्ड अपनी इस संपत्ति को लेकर आखिर क्यों गंभीर नही है, क्या पर्दे के पीछे कोई बड़ा खेल खेलने की साजिद तो नही। बहरहाल ये मामला इन दिनों खबू चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
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पिरान कलियर क्षेत्र में तीन दरगाहों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है ,जबकि यहां पर अन्य और भी दरगाहे है, जिनमें से एक दरगाह ताउम्र दरगाह की नौकरी करने वाले खादिम बाबा जिलानी की भी मौजूद है। बाबा जिलानी दरगाह साबिर पाक में वक्फ की नौकरी कर खिदमत को अंजाम देते थे, खिदमत को अंजाम देते हुए ही उन्होंने पिरी’मुरीदी का काम किया ओर अपनी हयात में ही अकूत सम्पति अपने शिष्यों के नाम पर खरीदी। उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी ही हयात में बना बाबा जलानी ट्रस्ट के लोगों में विवाद हुआ ओर ट्रस्ट के बहुमत के सदस्यों ने एक प्रस्ताव उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में देकर बाबा जिलानी की कलियर स्थित दरगाह की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड को उठाने के लिये लिखित प्रस्ताव दिया गया था। उसके बाद वक्फ बोर्ड में उक्त दरगाह को दर्ज नम्बर 4508 दिया गया है।

उत्तराखंड