कुंभ के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले का जिन्न 3 साल बाद बोतल से आया बाहर, रुड़की की एक लैब के खिलाफ ओर हुआ मुकदमा दर्ज ,,,

कुंभ के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले का जिन्न 3 साल बाद बोतल से आया बाहर, रुड़की की एक लैब के खिलाफ ओर हुआ मुकदमा दर्ज ,,,

कुंभ के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले का जिन्न 3 साल बाद बोतल से आया बाहर, रुड़की की एक लैब के खिलाफ ओर हुआ मुकदमा दर्ज ,,,
हरिद्वार:
कुंभ के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले का जिन्न 3 साल बाद बोतल से बाहर आ गया है। देहरादून की डीएनए और हरिद्वार की नोवोस पैथ लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद अब रुड़की की एक लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। दरअसल, यह पूरा मामला हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ता सचिन डबराल की सूझबूझ से उजागर हुआ था। सचिन डबराल की ही याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद हुई एसआईटी जांच में टेंडर लेने वाले शरद पंत और उसकी पत्नी मलिका पंत समेत कई लोगों को जेल जाना पड़ा था। तीन साल बाद नए मुकदमे दर्ज होने पर यह सवाल भी उठ रहा है कि इन लैब के खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इसके साथ ही कुंभ घोटाले और लैब के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे को लेकर हरिद्वार में अंदरूनी राजनीति भी धीरे-धीरे सुलगनी शुरू हो गई है। सियासी हल्कों में इस कार्रवाई के राजनीतिक निहितार्थ भी निकल जा रहे हैं। मुकदमा जिन धाराओं में दर्ज हुआ है, उनमें गिरफ्तारी होनी तय है। देखने वाली बात ये है कि आने वाले दिनों में घोटाले का ऊंट किस करवट बैठता है।
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ऐसे खुली थी घोटाले की परतें
हरिद्वार महाकुंभ मेले में आए श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच हुई। मेला स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों को लेकर सचिन डबराल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें सचिन डबराल ने दावा किया कि कोविड जांच में गड़बड़ी होने की जानकारी उनके एक जानकार युवक ने उनको दी। युवक एक लैब में सैंपल कलेक्ट करता था। सैंपल लेने के लिए युवक एक अखाड़े में गया। वहां पर दो-तीन साधुओं ने जांच कराई। जबकि बाकी साधुओं ने जांच कराने से मना कर दिया। युवक ने अपनी लैब के मैनेजर को इसकी जानकारी दी। मैनेजर ने फोन पर युवक को कहा कि जितने भी साधु हैं सबकी निगेटिव रिपोर्ट दिखा दो।
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हरिद्वार: कोरोना घोटाले को लेकर एक बार फिर से जांच शुरू होने पर कई बड़े चेहरों के बेनकाब होने की उम्मीद जताई जा रही है। बुधवार को ईडी के नॉर्टन रीजनल कार्यालय सेक्टर 17 चंडीगढ़ की रिपोर्ट के बाद ज्वालापुर कोतवाली में इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया गया। एसपी अपराध पंकज गैरोला के निर्देश पर एसएसआई राजेश बिष्ट ने मुकदमा दर्ज कराया की महाकुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग को लेकर घपला होने की बात सामने आई थी ,जिस संबंध में शहर कोतवाली में भी पूर्व में मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद आर्थिक अपराध से जुड़ा होने पर मामले की जांच में ईडी भी जुट गई थी। ईडी की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट के नाम पर कुंभ मेला प्रशासन से करोड़ों रुपए का भुगतान कर लिया गया था जबकि जिन लोगों के एंटीजन और आरटीआईपीसीआर किए जाने का दावा किया गया था, वह गलत पाए गए थे। आरोप है कि नोवस लैब संचालक, उसकी साझेदार डॉक्टर संध्या शर्मा और एक अज्ञात आरोपी ने मिलकर घोटाले को अंजाम देकर अनुचित लाभ उठाया। इस मामले में डॉक्टर संध्या शर्मा समेत तीन के खिलाफ संबंधित धोखाधड़ी समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, मामले की जांच की जा रही है।
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फाइल फोटो,,,

उत्तराखंड