उमेश कुमार को मिले कुल 91 हजार 188 वोटो में सबसे ज्यादा 16 हजार 184 वोट अपनी विधानसभा खानपुर में मिले,,
हरिद्वार:
खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पूरी हिम्मत से ताल ठोकी। लेकिन चुनाव के दौरान उमेश का जो जलजला प्रचार में नजर आया, नतीजे उसके अनुरूप नहीं आए। उमेश कुमार को मिले कुल 91 हजार 188 वोटो में सबसे ज्यादा 16 हजार 184 वोट अपनी विधानसभा खानपुर में मिले। खानपुर के बाद झबरेड़ा सीट से 12 हजार 269 वोट झटकने में कामयाबी हासिल की। पिरान कलियर सीट पर 7890 वोट के अलावा किसी विधानसभा में इतनी बढ़त नहीं मिल सकी। लगभग हर विधानसभा सीट पर उमेश कुमार ने कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई। पूरा प्रयास करने के बाद भी कांग्रेस से टिकट न मिलना और उसके बावजूद अति उत्साह में निर्दलीय मैदान में उतरना उमेश कुमार के लिए फायदेमंद रहा है या फिर उनके राजनीतिक इकबाल को झटका लगा है, इसको लेकर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उमेश कुमार को निर्दलीय ताल ठोकने से परहेज करना चाहिए था। ऐसा करने पर आने वाले विधानसभा में उनका जलवा कई सीटों पर नजर आ सकता था। जबकि उमेश कुमार के कई करीबियों का मानना है कि लोकसभा चुनाव लड़कर भी उन्हें फायदा हुआ है। 2027 के विधानसभा चुनाव में जब उमेश कुमार कई अलग-अलग सीटों से अपनी समर्थकों को मैदान में उतारेंगे, तब इस चुनाव के अनुभव का उन्हें लाभ मिलेगा।
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बसपा की हालत सबसे खराब
इस चुनाव में दलीय प्रत्याशियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो सबसे ज्यादा बुरी स्थिति बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी जमील अहमद की हुई। बसपा ने उत्तराखंड के लोकसभा चुनाव के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन किया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि भावना पांडे को उम्मीदवार बनाने और फिर अचानक भावना पांडे के भाजपा में चले जाने से लोगों को यह है यकीन हो गया कि हरिद्वार लोकसभा सीट पर बसपा का टिकट भाजपा की झोली से निकलेगा। फिर पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर से अचानक एक मुस्लिम उलेमा को मैदान में लाकर खड़ा कर देने से खास तौर पर मुस्लिम समुदाय के मन में शंका पैदा हो गई। जमील अहमद ने अपनी जनसभा में कई बार यह दावा किया कि वह पड़ोसी मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं और उनके कस्बे की सीमा हरिद्वार जिले के खानपुर इलाके से लगती है और हरिद्वार व मुजफ्फरनगर का रोटी बेटी का रिश्ता है, लेकिन न तो बसपा के नेता और ना ही खुद जमील लोगों के मन से यह बात मिटा सके कि उनके टिकट में भाजपा का कोई रोल नहीं है। यही वजह है कि बसपा हरिद्वार सीट पर 42 हजार वोटो पर सिमट कर रह गई। नतीजतन जमील अहमद की जमानत जब्त हो गई। जमील अहमद को सबसे ज्यादा 5507 वोट मंगलौर विधानसभा से मिले।
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हरिद्वार लोकसभा सीट पर जमील अहमद व उमेश कुमार को मिले वोट
1- ऋषिकेश सीट पर जमील अहमद को 714 व उमेश कुमार को 5843 वोट मिले।
2- डाेईवाला सीट पर जमील अहमद को 575, उमेश कुमार को 3083 वोट मिले।
3- धर्मपुर सीट पर जमील को 731 और उमेश कुमार को 887 वोट मिले।
4- हरिद्वार सीट से जमील अहमद को 1134 व उमेश कुमार को 3525 वोट पड़े।
5- रानीपुर सीट पर जमील को 2583, उमेश कुमार 6157 वोट प्राप्त हुए।
6- रुड़की सीट पर जमील अहमद को 887, उमेश कुमार को 5015 वोट मिले।
7- हरिद्वार ग्रामीण सीट पर जमील को 2714, उमेश कुमार को 5760 वोट मिले।
8- खानपुर सीट पर जमील अहमद को 4225 और खानपुर विधायक उमेश कुमार को 16 हजार 184 वोट मिले।
9- मंगलौर विधानसभा में बसपा के जमील अहमद को 5507 और उमेश कुमार 4816 वोट पड़े।
10- पिरान कलियर सीट पर जमील अहमद को 3831, उमेश कुमार को 7890 वोट मिले।
11- ज्वालापुर सीट पर जमील को 4484, उमेश कुमार को 6129 वोट मिले।
12- झबरेड़ा सीट पर जमील 5286, उमेश कुमार को 12 हजार 269 वोट मिले।
13- भगवानपुर सीट से जमील अहमद को 4966, उमेश कुमार को 6701 वोट मिले।
14- लक्सर सीट से जमील को 4479 और उमेश कुमार को 5699 वोट मिले।
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