निकाय चुनाव से पहले राम विशाल दास जी की कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के राजनीतिक मायने
देहरादून:
उत्तराखंड की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राम विशाल दास जी महाराज ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से मुलाकात की। राजनीति में महाराज राम विशाल दास जी का कद और प्रभाव किसी से छिपा नहीं है। वे पहले कांग्रेस के कई बड़े पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं और भाजपा में भी उनकी गहरी पकड़ है। ऐसे में निकाय चुनाव से ठीक पहले हुई इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
राजनीतिक निष्क्रियता के बाद सक्रियता के संकेत?
महाराज पिछले तीन वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर हैं, लेकिन उनके संबंध अभी भी प्रदेश के कई बड़े नेताओं और दलों में मजबूत बने हुए हैं। उत्तराखंड के निकाय चुनाव नजदीक हैं, और अध्यक्ष, मेयर, और पार्षद पदों के टिकट को लेकर सियासी गणित तेज हो गई है। ऐसे में उनकी कांग्रेस नेताओं से यह मुलाकात कई सवाल खड़े कर रही है।
भाजपा और कांग्रेस के बीच संतुलन बनाए रखने की रणनीति?
महाराज राम विशाल दास जी का राजनीतिक इतिहास बताता है कि वे दोनों प्रमुख दलों – कांग्रेस और भाजपा – में गहरी पैठ रखते हैं। उनके संबंध सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे जमीनी स्तर पर भी बड़ा प्रभाव रखते हैं। इस मुलाकात को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या महाराज एक बार फिर कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी कर रहे हैं, या फिर यह मुलाकात भाजपा पर दबाव बनाने का संकेत है?
टिकट वितरण में भूमिका या नए समीकरण की तैयारी?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि हरिद्वार के निकाय चुनाव में टिकट वितरण के लिए राम विशाल दास जी की यह मुलाकात रणनीतिक हो सकती है। उनकी गहरी पैठ और समर्थकों की संख्या कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। यह भी संभव है कि वे अपने समर्थकों को मेयर या पार्षद पदों के लिए टिकट दिलाने के प्रयास में हैं।
राजनीतिक भविष्य के संकेत?
महाराज राम विशाल दास की यह मुलाकात सिर्फ कांग्रेस के नेताओं से नहीं, बल्कि भविष्य में उनकी राजनीति में सक्रियता के संकेत भी दे रही है। निकाय चुनाव जैसे स्थानीय स्तर के चुनाव में उनकी भागीदारी हरिद्वार की राजनीतिक धारा को प्रभावित कर सकते हैं।विधायक और ज़िलाध्यक्ष रहे साथ
इस दौरान उनके साथ ज्वालापुर विधायक इंजीनियर रवि बहादुर और हरिद्वार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी भी साथ रहे। दोनों से उनके रिश्ते बहुत गहरे है। इसलिए इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे है।
महाराज की चुप्पी, लेकिन चर्चाएँ तेज
इस मुलाकात पर महाराज ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके कदम ने उत्तराखंड की राजनीति में नई अटकलों को जन्म दे दिया है। क्या यह कांग्रेस के प्रति उनके पुराने जुड़ाव का संकेत है, या भाजपा के लिए कोई संदेश? इसका उत्तर तो समय ही बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि राम विशाल दास जी की इस मुलाकात ने राजनीति में हलचल जरूर बढ़ा दी है।