राज्य के 100 निकायों में होगा मतदान:-23 जनवरी को मतदान और 25 जनवरी को मतगणना होगी। 27 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू,,,

राज्य के 100 निकायों में होगा मतदान:-23 जनवरी को मतदान और 25 जनवरी को मतगणना होगी। 27 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू,,,

राज्य के 100 निकायों में होगा मतदान:-23 जनवरी को मतदान और 25 जनवरी को मतगणना होगी। 27 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू,,,
उत्तराखंड:
राज्य में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव का कार्यक्रम जारी करते हुए घोषणा की कि 23 जनवरी को मतदान और 25 जनवरी को मतगणना होगी। 27 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस ऐलान के साथ ही राज्य के 100 नगर निकायों में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने देहरादून में आयोजित प्रेस वार्ता में इस कार्यक्रम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और निर्वाचन प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
इससे पहले शासन ने चुनाव की समय सारिणी जारी की थी, जिसमें आरक्षण और सीटों के पुनर्निर्धारण के काम को अंतिम रूप दिया गया। अब आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही सभी सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों पर नियंत्रण रहेगा, ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सकें।
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राज्य के 100 निकायों में होगा मतदान…….
इस बार चुनाव राज्य के 100 नगर निकायों में होने हैं। इनमें नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायत शामिल हैं। चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए हैं। मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका है, और मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है, ताकि हर मतदाता आसानी से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके।
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आचार संहिता लागू, विकास कार्यों पर लगेगा ब्रेक…..
आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही सरकार और प्रशासन की ओर से कोई नई घोषणा या विकास कार्य शुरू नहीं किए जा सकेंगे। साथ ही, सरकारी मशीनरी का उपयोग केवल चुनावी प्रक्रिया के लिए किया जाएगा।
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चुनावी सरगर्मी बढ़ी….
चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। प्रत्याशियों की घोषणा और प्रचार अभियान तेज हो गए हैं। राज्य में निकाय चुनाव हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए अपनी ताकत दिखाने का बड़ा मौका रहा है। इस बार का चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में उतरकर समीकरण बदल सकते हैं।

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