टिकट वितरण में कांग्रेसी दावेदारों की आपसी प्रतिस्पर्धा और स्थानीय विधायक फुरकान की असमंजसपूर्ण स्थिति ने पार्टी को 2018 में बैकफुट पर धकेला,वहीं हाल हो सकता है 2024 में ,,,
पिरान कलियर:
नगरपंचायत पिरान कलियर एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरे चुनाव के लिए तैयार है। 2016 में अस्तित्व में आई इस नगरपंचायत का पहला चुनाव 2018 में हुआ था। तब कांग्रेस का टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी। टिकट वितरण में कांग्रेसी दावेदारों की आपसी प्रतिस्पर्धा और स्थानीय विधायक की असमंजसपूर्ण स्थिति ने पार्टी को उस समय बैकफुट पर धकेल दिया था। अब 2024 में एक बार फिर यही समस्या कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकती है।
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2018 में स्थानीय विधायक ने टिकट देने से बचते हुए सभी दावेदारों को स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने दिया। परिणामस्वरूप, निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। हालांकि, जीतने के बाद भी अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल को निर्दलीय रहकर पूरा किया, जिससे कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा।
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महिला आरक्षित सीट ने बढ़ाई प्रतिस्पर्धा…
इस बार नगरपंचायत की सीट महिला सामान्य के लिए आरक्षित कर दी गई है, जिससे नए दावेदार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। कांग्रेस के भीतर भी कई उम्मीदवार टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। प्रमुख दावेदारों में विधायक के करीबी नाजिम त्यागी ने अपनी पत्नी, अकरम प्रधान ने अपनी पत्नी, और पूर्व चेयरमैन के बेटे शफक्कत अली ने अपनी चाची का नाम प्रस्तावित किया है।
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विधायक के लिए बड़ी चुनौती: बिरादरी बनाम वफादारी….
मौजूदा दावेदारों में विधायक की बिरादरी से आने वाले अकरम प्रधान और शफक्कत अली के बीच टिकट का मुकाबला दिलचस्प है। वहीं, नाजिम त्यागी विधायक के करीबी समर्थक हैं लेकिन अलग बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विधायक बिरादरी को प्राथमिकता देते हैं या अपनी वफादार टीम को।
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कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा, निर्दलीय का दोबारा उभरना…..
यदि कांग्रेस विधायक ने टिकट वितरण में संतुलन नहीं बनाया, तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है। चुनाव के बाद निर्दलीय उम्मीदवारों के उभरने की संभावना बढ़ जाएगी, जो कांग्रेस के लिए एक और सीट गवाने का कारण बन सकता है।
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कांग्रेस का ‘टिकट ट्रैप’ और हार की दहलीज….
कांग्रेस के लिए यह चुनाव पार्टी अनुशासन और रणनीतिक निर्णय की परीक्षा है। अगर विधायक ने पूर्व की तरह दावेदारों को ‘फ्री होल्ड’ छोड़ा, तो नतीजा एक बार फिर पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। टिकट वितरण में एक गलत कदम कांग्रेस को इस सीट से महरूम कर सकता है। क्या कांग्रेस इस बार खुद को दोहराने से बचा पाएगी, या एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार पार्टी के अरमानों पर पानी फेर देंगे..? यह सवाल पिरान कलियर की चुनावी फिजा में गूंज रहा है।