भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर के सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर से दूसरी शादी के कुबूलनामे के बाद सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू,,,

भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर के सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर से दूसरी शादी के कुबूलनामे के बाद सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू,,,

भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर के सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर से दूसरी शादी के कुबूलनामे के बाद सोशल मीडिया पर नई बहस शुरू,,,
हरिद्वार:
भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर के सहारनपुर की अभिनेत्री उर्मिला सनावर से दूसरी शादी के कुबूलनामे के बाद सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि पूर्व विधायक ने दूसरी शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया है या फिर उन्हें उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) से कोई छूट मिली है? दरअसल, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पत्नी के रहते दूसरी शादी अवैध मानी जाती है। वहीं, उत्तराखंड समान नागरिक संहिता भी साफ कहती है कि कोई भी व्यक्ति — चाहे किसी भी धर्म का हो — एक समय में एक ही विवाह कर सकता है।
ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि यदि पहली पत्नी से अब तक तलाक नहीं हुआ है, तो दूसरी शादी किस आधार पर की गई? यह वैध है या नहीं, इस पर फिलहाल न पूर्व विधायक कोई स्पष्ट जवाब दे रहे हैं और न ही प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। हालांकि अभिनेत्री उर्मिला ने हाल ही में प्रेसवार्ता कर रिश्ते को सार्वजनिक किया और खुद को सुरेश राठौर की पत्नी बताया।
कुछ महीने पहले उर्मिला ने सुरेश राठौर पर शादी के बाद पहचान न देने और उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। दोनों के बीच कोर्ट में मुकदमेबाजी तक पहुंचा मामला अब एक बार फिर मेल-मिलाप में बदल गया है। हालांकि दोनों की ओर से अब यह कहा जा रहा है कि “हम साथ हैं”, लेकिन इस साथ के पीछे कई कानूनी सवाल सिर उठाए खड़े हैं।
———
अब यूसीसी पर भी उठने लगे सवाल
गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसका श्रेय दिया जाता है। लेकिन पूर्व विधायक सुरेश राठौर की दूसरी शादी को लेकर अब खुद यूसीसी की व्याख्या और उसकी वैधानिकता को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि जब एक आम नागरिक को दूसरी शादी की इजाजत नहीं है, तो फिर एक पूर्व जनप्रतिनिधि के लिए कौन सा कानून अलग है? सवाल यह भी है कि अगर यह विवाह कानून की परिधि से बाहर है तो क्या प्रशासन इस पर कोई संज्ञान लेगा या मामला सियासत की चुप्पी में दब जाएगा?

उत्तराखंड