सच कहूँ मुझको यह उन्वान बुरा लगता है..* *ज़ुल्म सहता हुआ इंसान बुरा लगता है..* *मेरे अल्लाह मेरी नस्लों को ज़िल्लत से निकाल..* *हाथ फैलाए हुए मुसलमान बुरा लगता है.पिरान कलियर में होता है भीख मांगने का बड़ा कारोबार,,*

*”पिरान कलियर में होता है भीख मांगने का बड़ा कारोबार,,*

*प्रवेज़ आलम पिरान कलियर/रुड़की!*

*”सच कहूँ मुझको यह उन्वान बुरा लगता है..*
*ज़ुल्म सहता हुआ इंसान बुरा लगता है..*
*मेरे अल्लाह मेरी नस्लों को ज़िल्लत से निकाल..*
*हाथ फैलाए हुए मुसलमान बुरा लगता है..*
प्रसिद्ध शायर मंजर भोपाली की गजल की ये चार लाइने विश्व विख्यात दरगाह पिरान कलियर पर सटीक बैठती है। दरगाह के बाहर 3 साल से लेकर व्रद्ध व्यक्ति और औरते भीख मांगती नज़र आती है। भिखारियों की तादाद अब एक विकराल रूप ले चुकी है, छोटे मासूम बच्चे भीख मांगने के साथ नशा और चोरी जैसी लत में फंसकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे है। बच्चो और औरतों के द्वारा भीख में मिलने वाले पैसो पर कुछ लोग ऐशोआराम की जिंदगी यापन कर रहे है। बाकायदा भीख मांगने का कारोबार कराया जा रहा है जिसका शिकार छोटे छोटे मासूम बच्चे भी हो रहे है। जनप्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र में नशे के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है यदि यही जनप्रतिनिधी भिक्षावृत्ति के खिलाफ भी आवाज बुलन्द करे तो यकीनन नशा और अपराध का ग्राफ कम होगा।
वही सरकार प्रतिवर्ष गरीब निर्धन बच्चों का भाग्य संवारने के लिए करोड़ो रूपये का बजट आवंटित करती है लेकिन वह बजट कहां जाता है कोई नहीं जानता। बाल सुधार की योजनाएं और कल्याण के कार्यक्रम कागजों पर चलते हैं और फाईलों में कैद हो जाते हैं। सैकड़ो एनजीओ इन बच्चों के कल्याण के लिए काम करने का दावा करती हैं। सरकार उन्हें मोटी राशि अनुदान के रूप में देती हैं लेकिन उस धनराशि से एनजीओ संचालकों और कार्यकर्ताओं के बच्चों का भविष्य तो संवर जाता है लेकिन जिन बच्चों का भविष्य सजाने संवारने के लिए यह राशि आवंटित होती है उन बच्चों की तकदीर नहीं बदलती।
हर साल जिला प्रशासन बाल श्रम विरोघी दिवस पर अनेक कार्यक्रम आयोजित करता है जिनमें जन प्रतिनिधि और नौकरशाह बाल श्रम रोकने और निराश्रित बच्चों का भविष्य संवारने का दावा करते हैं लेकिन यह सब भाषणबाजी तक सिमटकर रह जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाने की परम्परा है लेकिन बच्चों के प्रिय चाचा का जन्मदिन का उल्लास भी भीख मांगने वाले बच्चों का भविष्य नहीं संवार सका तो बेहिचक कहना पड़ेगा कि व्यवस्था में कमियां ही कमियां है जिनके चलते ऐसे बच्चों के लिए करोड़ो खर्च करने के बावजूद न उनकी तकदीर नही बदली।
:- यदि बच्चों का भविष्य सवारना है और भीख मांगने से रोकना है तो उनपर कार्यवाही की जानी चाहिए जो इनसे भीख मंगवा रहे है।

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