सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश, एनजीओ भी आरटीआई ऐक्ट के दायरे में।

दरगाह कार्यालय स्वेच्छा से एक पक्षीय सूचना आयोग के आदेश से 2016 के बाद से सूचना के अधिकार से बाहर क्यों

रुड़की/पिरान कलियर
चो0 अनवर राणा।

पिरान कलियर दरगाह साबिर पाक कार्यालय 2012 के बाद से हाइकोर्ट के आदेश पर जिला अधिकारी हरिद्वार व सी ई ओ वक्फ बोर्ड की देखरेख में चलता आ रहा है। देशनमे 2005 सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के पश्चात दरगाह कार्यालय प्रबंधतंत्र ने भी अपने यहां सूचना अधिकारी नियुक्त कर लोगो द्वारा दरगाह कार्यालय से सम्बंधित मांगी गयी सूचनाएं सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराई जाती रही है।दरगाह कार्यालय में में प्रतिवर्ष करोड़ो की आय व्यय होने पर कुछ कारकुनों द्वारा यहां भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देने सम्बन्धी घटनाओं को जानबूझकर अंजमे दिया गया जिसकी कुछ लोगो द्वारा सूचना मांगकर अधिकारियों को अवगत करा कर कार्यवाही की मांग करने से तंग व परेशान होकर कुछ कर्मचारियो व सुपरवाइजरों ने अपने द्वारा किया जा रहे दरगाह की आय को बन्दरबांट से बचने के लिये एक अपील सूचना आयोग के माध्यम से दरगाह कार्यालय को अकारण ही सूचना के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखने के एक पक्षीय आदेश कराकर राहत की सांस लेकर दरगाह की आय को लूटने का काम को दरगाह कार्यालय स्टाफ द्वारा बादस्तूर किया जा रहा है।ऐसा नही की यहां पर राज्य सरकार का पैसा सौंदर्य व विकास पर खर्चना किया गया हो ओर सरकारी तंत्र यहां की व्यवस्था न देख रहा हो लेकिन दरगाह कार्यालय स्टाफ द्वारा की जा रही ठेके की दुकानों पर बैठकर चोरी व अन्य अनियमितताओं की जानकारी सार्वजनिक नही होने से ही कर्मचारियो की बचने की ये एक सोची समझी साजिस के तहत सूचनाएं रोककर आयोग को भी गुमराह किया गया है।दरगाह में बढ़ती जा रही भ्र्ष्टाचार की घटनाएं ओर कार्यालय स्टाफ की आय को खुर्दबुर्द करने की नीति को ध्वस्त करने के लिये एक व्यक्ति ने कुछ सूचनाएं दरगाह हित में कार्यालय से न मिलने के कारण आयोग का दरवाजा खटखटाकर दरगाह हित व भ्र्ष्टाचार के खिलाफ दरगाह कार्यालय को सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत सूचनाएं उपलब्ध कराये जाने की मांग की है।

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