दरगाह के वार्षिक ठेको में अधिकारियों व प्रबंधतंत्र की स्वेच्छाचारिता,इस बार भी वार्षिक डॉगह को ठेको से 64 लाख का नुकसान ।एक माह दरगाह कर्मियों ने लूट ली दुकानों की आय।वित्तीय वर्ष बदलकर किया 31 सितम्बर 2020 बड़ा गोलमाल।सी ई ओ वक्फ बोर्ड को किया जा रहा यहां के हर मामले में गुमराह,,,।

दरगाह के वार्षिक ठेको में अधिकारियों व प्रबंधतंत्र की स्वेच्छाचारिता,इस बार भी वार्षिक डॉगह को ठेको से 64 लाख का नुकसान ।एक माह दरगाह कर्मियों ने लूट ली दुकानों की आय।वित्तीय वर्ष बदलकर किया 31 सितम्बर 2020 बड़ा गोलमाल।सी ई ओ वक्फ बोर्ड को किया जा रहा यहां के हर मामले में गुमराह,,,।

दरगाह मे नही कोई नियम कानून, स्वच्छाचारिता से
चलता है दरगाह का निजाम

ठेकेदारों के सामने दरगाह प्रबंधन ने टेके घुटने

वाषिक ठेको मे साढे 64 लाख खुद ही छोड दिये
ठेका अवधि भी एक माह बढायी*

कलियर। अनवर राणा।

विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर के वार्षिक ठेके नीलम करने मे दरगाह प्रबंधन ठेकेदारो के सामने धुटने टेक चुका है। इसका कारण कुछ भी रहा हो। दरगाह प्रबंधन द्वारा ठेके नीलाम करने मे अपनाई गयी पद्धति को किसी नियम कानून की संज्ञा नही दी जा सकती। बल्कि इसे स्चछा चारिता ही कहा जायेगा। मार्च 2019 मे होने वाले वार्षिक ठेके चार बार अखबारो मे प्रकाशित करने के बाद भी नीलाम नही हो के पाने के कारण दरगाह प्रबंधन ने ठेकेदारों के सामने घुटने टेक दिये तब जाकर पाचवीं बार ठेकेदारों की इच्छानुसार ठेके प्रकाशित हुए और ठेके नीलाम करने की ओपचारिकता पूर्ण की गयी। कहने के लिए सबकुछ नियमानुसार दिखाई दे रहा है और किया गया है। लेकिन गत बर्ष की तूलना मे दरगाह प्रबंधन ने स्वयं ही लगभग साढे 64 लाख रुपये कम कर दिये। जो दरगाह को स्पष्ट आर्थिक नुकसान दिया गया है। लगभग प्रति वर्ष ठेकेदार दरगाह प्रबंधन से सांठ गाठ कर कुछ न कुछ रास्ता दरगाह को नुकसान पहचाने का निकाल लेते है जिसमे दरगाह प्रबंधन शामिल रहता है और जब कोई रास्ता नही सूझता तो अन्त मे ठेके का पैसा जमा न कर, मार लिया जाता है इसमे भी दरगाह प्रबंधन किसी न किसी तरह ठेकेदारों के साथ शामिल दिखाई देता है। मिली जानकारी के अनुसार इस बार ठेकेदारो को गलत लाभ पहुचाने के लिए गत तीन वर्षो के ठेको का औसत निकल कर ठेके देने की तरकीब निकाली गयी और ठेके छोड़ दिये गये। ऐसा पहली बार किया गया है। यही नही ठेके की अवधि के साथ भी खिलवाड़ किया गया। पहले तो वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से 31मार्च की व्यवस्था को खत्म कर ठेका अवधि ठेका स्वीकृति से 31अगस्त 2020 की अवधि रखी गयी। इसी आधार पर ठेकेदारों ने टेन्डर डाले। टेन्डर खोलने के बाद मे अवधि बढा कर 31 सितम्बर 2020 कर दी गयी। जबकि ठेके कायदे मे 31मार्च तक के लिए ही होने चाहिए थे।

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