मुस्लिम गुज्जर समाज से गंगोह उपचुनाव में चूक हुई तो कोई पार्टी भविष्य में नही देगी टिकट। कब तक शहते रहेंगे मुस्लिम गुज्जर बिरादरी के नम्बरदार एक परिवार की गुलामी। काजी परिवार ने दशकों की राजनीति में कभी नही बनाया मुस्लिम गुज्जर को प्रत्यासी।

मुस्लिम गुज्जर समाज से गंगोह उपचुनाव में चूक हुई तो कोई पार्टी भविष्य में नही देगी टिकट।
कब तक शहते रहेंगे मुस्लिम गुज्जर बिरादरी के नम्बरदार एक परिवार की गुलामी।
काजी परिवार ने दशकों की राजनीति में कभी नही बनाया मुस्लिम गुज्जर को प्रत्यासी।

रिपोर्ट।
चो0 अनवर राणा पत्रकार।

उत्तर प्रदेश में अहम मुकाम रखने वाला जनपद सहारनपुर का कस्बा गंगोह दो राजनैतिक घरानों की वजह से ही राजनीति का गढ़ माना जाता रहा है।इन्ही दो राजनीतिक घरानों चो0 यशपाल सिंह व काजी रशीद मसूद की प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कभी धाक सुनाई देती थी ,इसलिये भी गंगोह का इतिहास काबिले तारीफ माना गया है।लेकिन एक समय व एक नेता कैराना में जन्म लेकर ऐसा भी आया जिसने गंगोह की राजनीति में भूचाल ही नही बल्कि उपेक्षित व एक परिवार की गुलामी का हमेशा दंश झेलने वाली मुस्लिम गुज्जर बिरादरी को इन दोनों ही परिवार की राजनीति से आजाद कराया।वह सख्शियत किसी के नाम जानने की मोहताज नही रही बल्कि उसने जनता के प्यार से ही हिंदुस्तान के चारो सदनों का सदस्य बनकर एक रेकॉर्ड बनाया जिसका नाम चो0 मुनवर हसन था जिसे सारे हिंदुस्तान की जनता आज भी याद करती है ।गुज्जर मुस्लिम का वोट भी गंगोह सीट पर किसी अन्य बिरादरी से कम नही है।यहां पर इस उपचुनाव में समीकरण को ध्यान में रखकर बहुजन समाज पार्टी की तरफ से ईमानदारी छवि के चो0 मो0 इरशाद को अपना प्रतियासी बनाकर इन दोनों घरानों के वारिसों को कड़ी चुनोती दी गयी है।वैसे तो गंगोह उपचुनाव में कोई भी पार्टी कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती ओर अपनी अपनी जीत का दम भर्ती नजर आ रही है।लेकिन पिछड़ा,दलित,मुस्लिम का समीकरण समझने ओर गुज्जर मुस्लिम बिरादरी के नम्बरदारों को अगर यह बात समंझ नही आयी तो यहां पर फिर से फिरकापरस्त ताकत कामयाब होने से कोई नही रोक सकता।क्योंकि गंगोह विधान सभा पर मुस्लिम गुज्जर व अन्य यदि बसपा को 90 परसेंट मिलता है ओर दलित वोट भी इसी तादाद में पड़ता है तो कोई भी बसपा की जीत को नही रोक सकता। यहां यह बताना जरूरी है कि काजी रशीद मसूद की विरासत को संभालने वाले दो भाईयो नोमान मसूद,इमरान मसूद की भाषा व व्यवहार सभी मुस्लिम गुज्जरों को भलीभांति पता है कि कुर्सी पाने के लिये ये लोग गले लगाकर भाई ,बाप,बनाने से भी गुरेज नही करते ओर मिलने के बाद सभी से दुर्व्यवहार की भाषा में बात करते है।ऐसे में अगर मुस्लिम गुज्जर खास तोर पर इस उपचुनाव में अपना मत का सही इस्तेमाल नही कर पाया तो मुस्लिम गुज्जर बिरादरी फिर उस काजी रशीद मसूद परिवार के दौर में पहुंच जाएगी जिस दौर में सिर्फ मुस्लिम गुज्जर को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल हमेशा किया गया ओर कोई भी पार्टी मुस्लिम गुज्जर को गंगोह पर अपना प्रतियासी नही बनाएगी इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता,यह सोचना गंगोह विधान सभा के समस्त वोटरों व खासतौर पर मुस्लिम गुज्जर बिरादरी को है।

उत्तराखंड