वक्फ बोर्ड सी ई ओ की अनुमति लिये बिना ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को गुमराह कर दरगाह प्रबंधक द्वारा किया जा रहा नियम विरुद्ध वित्तीय अनियमत्ता व अवैध नियुक्ति से लेकर मानदेय बढ़ाने के कार्य।
रुड़की
देशराज।
दरगाह कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का एक दिलचस्प मामला सामने आया है जिसमे बिना वक्फ बोर्ड मुख्य कार्यपालक अधिकारी/अपर सचिव अहमद इकबाल आई ए एस की अनुमति के ही दो नयी नियुक्ति करने की फाइल बनाकर दरगाह प्रबंधक परवेज आलम द्वारा अवैध धन उगाही के चलते ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की की अनुमति लेने का दुरसाहस प्रयास किया गया ।जिसमे से एक को तो डयूटी चार्ट में भी सामिल कर रजिस्टर में नाम दर्ज तक कर लिया गया ओर दूसरे व्यक्ति कथित दरगाह ख़दीम साकिब पुत्र आमिल निवासी महमूदपुर की नियुक्ति की फाइल भी लगभग बीस दिन पूर्व से दरगाह कार्यालय से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब की गयी थी ,जिसमे एक जनहित की शिकायत 9 दिसम्बर 2019 को होने पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की नमामि बंसल ने एफ़ आर आई लिखवाने के आदेश दरगाह प्रबंधक को दिये थे लेकिन उक्त फाइल गायब करने की एफ़ आर आई आज तक थाना पिरान कलियर में प्रबंधक की तरफ से नही किये जाने को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चा व्याप्त हो रही है।अब फिर तीसरी बार नियम विरुद्ध बिना सी ई ओ वक्फ की अनुमति लिए बगैर चन्द कर्मचारी अपने वेतन वृद्धि को लेकर अधिकारियों को गुमराह कर नियमो के विरुद्ध गुपचुप तरीके से अपना मान देय बढ़वाने के लिए प्रबंधक से सांठगांठ कर एक फाइल तैयार कर अनुमोदन के लिए पहले तो ए एस डी एम रविन्द्र कुमार से बेक डेट में एक भाजपा के कथित अल्पसंख्यक नेता के जरिये कराना चाह रहे थे लेकिन मामला उजागर होने पर एस डी एम द्वारा मना किये जाने के उपरांत अब नए सिरे से फाइल तैयार कर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की अनुमति को भेजी जा रही हैं।दिलचस्प बात ये है इस नियम विरुद्ध पूरे कार्य को लेकर जो फील्डिंग बिछाई गयी है वो किसी भी रूप में फिट नही बैठ रही है।
जानकारी के अनुसार सन्न 2017 में कर्मचारियो की मानदेय की मांग जनहित याचिका के माध्यम से मिनिमम वेज की मांग से सम्बंधित माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में अंतरिम आदेश के तहत मानदेय बढ़ाया जा चुका है ओर याचिका आज भी विचाराधीन है। दरगाह कार्यालय में करीब 100 कर्मचारी तैनात हैं,जिसमे आधा दर्जन सुपरवाइजर ओर अन्य सफाई कर्मचारियों सहित चौरानवे कर्मचारी कार्य करते हैं,जिनको वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा वेतन मिलता हैं।
ये भी माना जा रहा है कि रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने हाल फिलहाल में ही चार्ज लिया है उनको इस बारे में अभी जानकारी नही हैं।बरहाल दरगाह से जुड़े अधिकारियों के लिए ये शुभ संकेत नही है क्योंकि पूर्व में तमाम कर्मचारियों का वेतनवृद्धि एक बार पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी व एक बार मान्य हाइकोर्ट के आदेश पर बढ़ाया गया था। जिसमे कोई भेदभाव नही किया गया था लेकिन इस बार कुछ कर्मचारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए जो मंसूबा बनाया है वो किसी के गले नही उतर रहा है*
*इस पूरे मामले में दरगाह प्रबन्धक परवेज अलाम की भूमिका भी सन्देह पूर्ण इसलिये दिखाई दे रही है कि जब दरगाह कर्मियों की नियुक्ति व मानदेय का जिम्मा उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड सी ई ओ का है तो फिर फाइल तैयार कर सी ई ओ की अनुमति क्यो नही ली जाती है।

