कोरोना काल के बहाने 2019-20 के बकायादार ठेकेदारों के गले की हड्डी बनी जिला प्रशासन से राहत की मांग,,,,कोरोना काल से पूर्व जमा होने वाले 30% बकाया जमा करने के दिये आदेश,,,,।
जिला प्रशासन ने ठेकेदारों को मानवता के नाते 139 दिन दिये अतिरिक्त,,,,,,,16 फरवरी को होगी ठेको की अवधि समाप्त,,,,,,,धार्मिक स्थल के अन्य गरीब कारोबारियों को नही मिली कोरोना काल की कोई राहत,,,।
रुड़की/कलियर
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड की दरगाह साबिर पाक की देखरेख जनहित याचिका 87/2011 अनवर जमाल बनाम राज्य आदि में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने आदेश के तहत जिला प्रशासन के हवाले कर जिला अधिकारी हरिद्वार को प्रशासक नियुक्त कर की जा रही है। जिला प्रशासन व दरगाह प्रबंधतंत्र के द्वारा बनाई गयी शर्तो के आधार पर टेंडर के माध्यम से प्रतिवर्ष प्रशाद के ठेको को ठेकेदारों के सपुर्द कराया जाता है। शर्तो के अनुसार ही ठेकेदारों को दरगाह के ठेको की बकाया रकम कार्यालय में समय पर जमा करनी होती है,समय व शर्तों पर ठेको की धनराशि जमा न करने पर ठेकेदारों के ठेके बीच मे ही निरस्त करने की शर्त भी रखी गयी है। लेकिन वर्ष 2019-२० के ठेकेदारों द्वारा जो अंतिम क़िस्त मार्च 2020 में जमा करनी थी वो जानबूझ कर बिना किसी प्राकृतिक आपदा के समय नही करायी गयी है। 24 मार्च 2020 को देश मे कोरोना महामारी के चलते लोकडौन लगा दिया गया जिसके चलते जिला प्रशासन ने मंदिर मस्जिद आदि धार्मिक आयोजनों पर भीड़ न इक्कठा होने के कारण बन्द कर दिया गया था। कलियर दरगाह को भी कोरोना काल मे 24 मार्च से 8 अगस्त 2020 तक बन्द रखा गया ओर ठेकेदारों के प्रशाद की दुकान भी बन्द रखी गयी थी। 8 अगस्त 2020 को दरगाह खुलने के बाद ठेकेदारों द्वारा बादस्तूर अपने अपने प्रशाद की दुकानों को खोलकर जिला प्रशासन से कोरोना काल मे बन्द समयावधि के 139 दिनों की राहत व जो 30 प्रतिशत ठेको की करोड़ो रूपये की राशि मार्च 2020 में अदा करनी थी उसको माफ करना भी शामिल कर जिला प्रशासन से राहत की मांग के लिये आवेदन प्रस्तुत किया। जिला प्रशासन व उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के द्वारा कोरोना काल के 139 दिनों की राहत देकर ठेको की समय अवधि को बढ़ाकर 16 फरवरी 2020 कर दिया ओर मार्च 2020 में जमा करने वाली ठेको की 30 प्रतिशत की क़िस्त जिसकी रकम सभी ठेकेदारों पर करोड़ो बनती है तुरन्त कार्यालय में जमा करने के आदेश देकर ठेकेदारों को 30 दिसम्बर 2020 को नोटिस जारी कर दिये है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन कोरोना काल से पूर्व जमा की जाने वाली दरगाह सबीरे पाक के ठेको की 30 प्रतिशत क़िस्त जिसकी रकम करोड़ो में बनती है जमा करा पायेगा या फिर पूर्व की तरह ही ठेकेदार दरगाह की आय को बर्बाद कर अपनी तिजोरी भरते रहेंगे।अब यह कहना गलत नही होगा कि ठेकेदार अपने बुने जाल में स्वयम ही फंसते दिखाई दे रहे है ओर ठेकेदारों द्वारा मांगी गयी कोरोना काल की 139 दिन की राहत जिला प्रशासन द्वारा दे दी गयी है फिर भी करोड़ो बकाया माफी की योजना ठेकेदारों के गले मे हड्डी की तरफ फंसती दिखाई दे रही है। ठेकेदार कोरोना काल से पूर्व दी जाने वाली बकाया क़िस्त दरगाह खाते में जमा करने के मूड में दिखाई नही दे रहे है।